उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटर्स की डिमांड बढ़ गई है। सारी पार्टियां ब्राह्मण वोट को रिझाने के लिए अलग अलग तरीके अपना रहीं हैं। चुनाव से ठीक पहले बसपा ने प्रदेश के सभी जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन कराया, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने लखनऊ में भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण किया और भाजपा ने ब्राह्मण वोटर्स को साधने के लिए ब्राह्मण नेताओं की एक कमेटी बना दी है।
पढ़ें :- Politics on Saras: सारस पर सियासत!... ट्रेन से टकराकर सारस जख्मी, अस्पताल में कराया भर्ती
लेकिन पार्टियों ने ब्राह्मण वोटर को असल में कितनी वरीयता दे रही है ये उनकी प्रत्याशियों की लिस्ट से जान पड़ता है। इस कड़ी में सवाल अभी सबसे अधिक सपा पर उठाये जा रहे हैं। जब उनके पार्टी के एक नेता ने ब्राह्मण विरोधी बयान टिपण्णी कि और पार्टी अध्यक्ष ने इसपर चुप्पी साध ली। आपको बता दें कि सपा अध्यक्ष की पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेताओं के साथ हुई मीटिंग के 4 दिन बाद ही सुल्तानपुर में इसौली सीट से सपा विधायक अबरार अहमद ने विवादित और ब्राह्मण विरोधी बयान दिया। उन्होंने ब्राह्मणों को चोर बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए उन्हें ब्राह्मणों के वोट की जरूरत नहीं है, उनके बिना भी वह जीत सकते हैं। सपा नेता के इस बेतुके बयान पर ब्राह्मणों के हितैषी होने के दावा करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी चुप रहे।
ये मामला तब और गर्म हो गया जब मधुबन विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे उम्मीदवार उमेश पांडेय को टिकट न देकर सुधाकर सिंह को प्रत्याशी घोषित किया। क्षेत्रीय लोगों में इस बात को लेकर काफी नाराजगी देखि जा रही है। मधुबन विधानसभा सीट के क्षेत्रीय 20 वर्षीय वोटर मानस उपाध्याय ने कहा कि उमेश पांडेय इस सीट के लिए सबसे सही चुनाव थे परन्तु सपा ने उनका टिकट काट कर सुधाकर सिंह को टिकट दे दिया है जिसका चेहरा भी आजतक हमने नहीं देखा न ही वह हमारे सुख दुःख में हमारे हितैषी बने। साथ ही क्षेत्र के दूसरे 60 वर्षीय बिजेंद्र राय का कहना है हम अपना वोट उस व्यक्ति को देकर व्यर्थ नहीं करेंगे जिसका हमसे कोई सरोकार नहीं। हमने अपने साथ हमेशा उमेश पांडेय को अपने क्षेत्र में समाजसेवा करते देखा है ऐसे में उनको टिकट न मिलना हमें आहत पहुंचाता है जिसका जवाब हम सपा को चुनाव में देंगे।
ऐसे में लगातार खड़े हो रहे सवालों में एक सवाल यह भी था कि ब्राह्मणों के हितैषी होने का दावा करने वाले व इन्हीं ब्राह्मणों के वोट बैंक का सहारा लेने के लिए भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाने वाले अखिलेश यादव अपने ही नेताओं की ब्राह्मण विरोधी मानसिकता को कैसे नहीं बदल पाए और सपा अब ब्राह्मण हितैषी वोटों को अपने पक्ष में कैसे करेगी।