पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की की पोप के अंतिम संस्कार में मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। व्हाइट हाउस में हालिया तीखे टकराव के कुछ हफ्तों बाद दोनों नेता पहली बार आमने-सामने आए। इस संक्षिप्त मुलाकात ने कई नए राजनीतिक संकेत छोड़ दिए हैं।
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पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के अंतिम संस्कार के दौरान वेटिकन सिटी में एक अप्रत्याशित क्षण देखने को मिला जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की एक-दूसरे के आमने-सामने आए। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब कुछ हफ्ते पहले ही व्हाइट हाउस में दोनों नेताओं के बीच कई नीतिगत मुद्दों को लेकर तीखा टकराव देखा गया था।
इस शिष्ट मुलाकात में दोनों नेताओं ने औपचारिक अभिवादन किया, लेकिन कोई लंबी बातचीत नहीं हुई। फिर भी, अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत के रूप में देखा है। विश्लेषकों का मानना है कि इस मुलाकात ने भविष्य में अमेरिका-यूक्रेन संबंधों की दिशा को लेकर नए कयासों को जन्म दे दिया है।
कुछ सप्ताह पहले, अमेरिका और यूक्रेन के बीच सैन्य सहायता और रणनीतिक सहयोग को लेकर भारी बहस हुई थी। ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से ज़ेलेंस्की की नीतियों पर सवाल उठाए थे और यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता को “अनियंत्रित खर्च” बताया था। दूसरी ओर, ज़ेलेंस्की ने अमेरिका से और अधिक समर्थन की मांग की थी, जिसे ट्रंप ने ‘अवास्तविक’ करार दिया था।
इन परिस्थितियों में पोप के अंतिम संस्कार के दौरान हुई इस मुलाकात ने वैश्विक समुदाय के लिए एक अहम दृश्य प्रस्तुत किया, जहां दोनों नेताओं ने तमाम मतभेदों के बावजूद सार्वजनिक रूप से संयम दिखाया।
भले ही यह मुलाकात औपचारिक थी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका और यूक्रेन के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशनशिप में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से शांति की दिशा में काम करने की बात कही, हालांकि इसकी पुष्टि दोनों पक्षों ने आधिकारिक तौर पर नहीं की है।
वेटिकन सिटी जैसे अंतरराष्ट्रीय और तटस्थ स्थल पर इस तरह की मुलाकातें अक्सर बड़े कूटनीतिक संदेश देती हैं। यह भी संभव है कि आगामी अमेरिकी चुनावों को ध्यान में रखते हुए ट्रंप अपनी विदेश नीति को लेकर एक नया रुख अपनाना चाहते हों।
ट्रंप और ज़ेलेंस्की की मुलाकात ने वैश्विक मीडिया में तुरंत सुर्खियां बटोरीं। न्यूयॉर्क टाइम्स, बीबीसी और अन्य प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने इसे “Unexpected Diplomatic Moment” करार दिया। सोशल मीडिया पर भी इस मुलाकात को लेकर बहस छिड़ गई, जहां कुछ ने इसे ‘शांति का संकेत’ माना तो कुछ ने ‘राजनीतिक अवसरवाद’ करार दिया।
भले ही इस मुलाकात से तत्काल कोई बड़ा नतीजा नहीं निकला हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच के रिश्ते और भविष्य की रणनीतियों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है।