पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान को “डिनर डेट” जैसे बैठक का सुझाव देकर एक नया राजनयिक विवाद खड़ा कर दिया है। यह टिप्पणी न केवल भारत की विदेश नीति के लिए संवेदनशील है, बल्कि इससे कश्मीर मुद्दे जैसे मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की आशंका भी बढ़ती है। भारत में इस सुझाव को लेकर गंभीर आपत्ति जताई गई है।
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर एक विवादित बयान देकर दक्षिण एशियाई राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बार उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराने तनाव को “डिनर डेट” की मीटिंग के ज़रिए सुलझाने का सरल लेकिन नासमझी भरा सुझाव दिया है। ट्रंप ने दावा किया कि अगर दोनों देश उनके आमंत्रण पर एक डिनर टेबल पर आएं, तो बातचीत और सुलह संभव है। हालांकि, इस बयान को भारतीय राजनयिक गलियारों में गंभीर चिंता और आपत्ति के साथ देखा जा रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर, सीमा विवाद, आतंकवाद और सुरक्षा जैसे जटिल मुद्दे हैं, जिन्हें ट्रंप ने हास्यास्पद रूप में “डेट” से सुलझाने की बात कहकर राजनयिक हलकों में नाराज़गी फैला दी है। भारत की पारंपरिक नीति रही है कि किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा, खासकर जब मामला राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़ा हो।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहा है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी वार्ता का प्रारंभ तभी हो सकता है जब पाकिस्तान आतंकवाद पर सख्त कदम उठाए। ट्रंप के “डिनर डेट” जैसे सुझाव से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका, विशेषकर ट्रंप जैसा नेता, अब भी भारत-पाक रिश्तों को हल्के-फुल्के मुद्दे की तरह देखता है, जबकि जमीनी हालात बेहद संवेदनशील हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी बेतुकी टिप्पणियां भारत की संप्रभुता और कूटनीतिक स्वायत्तता के लिए चुनौती बन सकती हैं। इससे यह भी संदेश जाता है कि कुछ पश्चिमी नेता अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त हैं और उन्हें एशियाई देशों की स्वतंत्रता और जटिलताओं की पूरी समझ नहीं है।
जहां भारत इस टिप्पणी को अनुचित हस्तक्षेप मान रहा है, वहीं पाकिस्तान की ओर से सकारात्मक संकेत दिए गए हैं। पाकिस्तान की नई सरकार ने संकेत दिया है कि वह ट्रंप के सुझाव पर विचार कर सकती है, जो कि इस्लामाबाद के तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को बढ़ावा देने वाले रवैये को दर्शाता है। हालांकि, क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की पहलें केवल राजनयिक भ्रम और अस्थिरता को जन्म देती हैं।
भारत का रुख स्पष्ट है – जब तक पाकिस्तान अपनी ज़मीन से आतंकवाद को समाप्त करने की ठोस पहल नहीं करता, तब तक किसी भी तरह की बातचीत या डिनर की कोई संभावना नहीं है। ट्रंप के बयान से भारत की इस स्थिति को चुनौती नहीं दी जा सकती, लेकिन यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को प्रभावित कर सकता है।