टैरिफ की धमकियों से पूरी दुनिया को हिलाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब खुद अदालत के शिकंजे में फंस गए हैं। अमेरिकी कोर्ट ने साफ कहा है कि ट्रंप ने अपनी इमरजेंसी पावर का गलत इस्तेमाल किया और उनके लगाए गए ज्यादातर टैरिफ गैरकानूनी हैं।
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टैरिफ की धमकियों से पूरी दुनिया को हिलाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब खुद अदालत के शिकंजे में फंस गए हैं। अमेरिकी कोर्ट ने साफ कहा है कि ट्रंप ने अपनी इमरजेंसी पावर का गलत इस्तेमाल किया और उनके लगाए गए ज्यादातर टैरिफ गैरकानूनी हैं। यानि अब ट्रंप का वही हथियार उन्हीं के खिलाफ हो गया है ।
यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने साफ कर दिया कि ट्रंप ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।
कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रपति को हर देश पर अपनी मर्जी से टैरिफ थोपने का असीमित अधिकार नहीं दिया जा सकता।” तो वही दूसरे तरफ “ट्रंप ने अपने फैसलों को सही ठहराने के लिए इंटरनेशनल इमरजेंसी इकनॉमिक पॉवर्स एक्ट यानी IEEPA का सहारा लिया था। लेकिन अदालत ने साफ कर दिया—ये कानून राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, न कि पूरी दुनिया को टैरिफ की आड़ में धमकाने के लिए।” इसपर “ट्रंप प्रशासन ने दलील दी कि 1971 में राष्ट्रपति निक्सन ने भी इस तरह टैरिफ लगाए थे और कोर्ट ने उन्हें मंजूरी दी थी।लेकिन इस बार जजों ने 7-4 के बहुमत से साफ किया कि ट्रंप की दलील टिक नहीं पाती।” इसी बीच ट्रंप के बयान ने सुर्खियों की कसावट को और बढ़ा दी,ट्रंप ने कहा कि आगर इस फैसले को लागू होने दिया गया… तो यह सचमुच अमेरिका को तबाह कर देगा।”
बता दे आपको कि कोर्ट ने ट्रंप के फैसलों पर तुरंत रोक नहीं लगाई है, लेकिन अक्टूबर तक उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने का समय दिया है।यानी अब ट्रंप के लिए अगली जंग सुप्रीम कोर्ट में होगी।” कानूनी विशेषज्ञ की माने तो यह फैसला अमेरिका को मनमानी टैरिफ नीति के नुकसान से बचाने वाला कवच है।और अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी यही फैसला कायम रखा, तो ये ट्रंप के लिए करारा सबक होगा—कि अमेरिका का राष्ट्रपति भी कानून से ऊपर नहीं है।ये फैसला सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। पूरी दुनिया इस पर नजर बनाए हुए है। क्योंकि ट्रंप के लगाए गए टैरिफ से यूरोप से लेकर एशिया तक के बाजार हिल चुके हैं। भारत, चीन और यूरोपियन यूनियन जैसे देश, जो लंबे समय से ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से परेशान थे, इस फैसले को एक पॉजिटिव सिग्नल मान रहे हैं।
इस पूरी प्रकरण से मतलब साफ़ हैं कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी ही घर में फंस गए हैं। जिस ताक़त का इस्तेमाल कर वो दुनिया को दबाना चाहते थे, अब वही ताक़त उनके खिलाफ अदालत में सबूत बन चुकी है।”ट्रंप की आदत हैं दूसरे देशों को आंख दिखाने की और उनके मामलों में हस्तक्षेप करके श्रेय अपने नाम करने की…..लेकिन कहते है न जो दुनिया से नहीं हारता वह अपने घर में हार जाता है . यही हाल हुआ ट्रंप के साथ…देखने वाली बात होगी कि इसपर ट्रंप का अगला कदम क्या होगा? क्या कोर्ट के इस फैसले को शीर्ष अदालत में चैलेंज करेंगे ट्रंप या यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट के फैसले को मानेंगे? यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा.
✍️ SOPAN KUMAR DAS