महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय कोई है, तो वह है डिप्टी सीएम अजित पवार का एक वायरल वीडियो। इस वीडियो ने न केवल राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है बल्कि आम जनता और सोशल मीडिया पर भी गरमा-गरम बहस छेड़ दी है।
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महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय कोई है, तो वह है डिप्टी सीएम अजित पवार का एक वायरल वीडियो। इस वीडियो ने न केवल राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है बल्कि आम जनता और सोशल मीडिया पर भी गरमा-गरम बहस छेड़ दी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे क्लिप में अजित पवार एक वरिष्ठ IPS अधिकारी से बात करते दिखते हैं। बातचीत का संदर्भ कथित तौर पर अवैध खनन (illegal mining) की जांच से जुड़ा है। वीडियो में पवार अधिकारी से कहते दिखाई देते हैं कि “आप ज़्यादा आगे मत बढ़िए।” यह लाइन सुनते ही बहस शुरू हो गई कि क्या यह साफ तौर पर एक ‘warning’ थी या फिर सिर्फ़ सलाह।
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, ट्विटर (अब X) और फेसबुक पर #AjitPawarVideo और #SupportIPSOfficer जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
कुछ यूज़र्स ने इसे “पॉलिटिकल प्रेशर” का साफ उदाहरण बताया।
कई लोगों ने IPS अधिकारी की तारीफ़ की कि उन्होंने सिस्टम के दबाव में आए बिना जांच शुरू की।
वहीं, अजित पवार के समर्थक यह कहते दिखे कि वीडियो को “गलत तरीके से एडिट” करके पेश किया जा रहा है।
विवाद बढ़ने के बाद अजित पवार ने मीडिया के सामने सफाई दी। उनका कहना था कि—“वीडियो का गलत मतलब निकाला जा रहा है। मेरी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। मैंने केवल यह कहा था कि अधिकारी को सावधानी से काम करना चाहिए।”
लेकिन विपक्ष ने इस सफाई को मानने से इनकार कर दिया। शिवसेना (UBT) और कांग्रेस नेताओं ने सीधे सवाल उठाए कि—अगर पवार निर्दोष हैं तो उन्हें वीडियो की जांच से डर क्यों?
राजनीतिक मायने
यह विवाद ऐसे वक्त में उठा है जब महाराष्ट्र में विपक्ष पहले ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है। अजित पवार, जो हाल ही में भाजपा-शिंदे सरकार में शामिल हुए, लगातार निशाने पर हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला न केवल उनकी छवि पर असर डालेगा बल्कि राज्य की सत्ता समीकरणों पर भी।
इस वीडियो ने एक बार फिर पुराने सवाल को ताज़ा कर दिया है—क्या भारत में कानून वास्तव में स्वतंत्र रूप से काम कर पाता है या फिर राजनीति का दबाव हमेशा उसके सिर पर तलवार की तरह लटकता है?
IPS संघ की तरफ़ से अभी तक आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अधिकारी ने फिलहाल जांच से पीछे हटने से इनकार किया है।
लोगों की राय साफ़ बँटी हुई है। एक वर्ग कहता है कि नेताओं का हस्तक्षेप अब ‘नॉर्मल’ हो चुका है और इसमें नया कुछ नहीं है। दूसरा वर्ग इसे सिस्टम की बीमारी मानकर बदलाव की मांग कर रहा है।
अजित पवार का यह वीडियो आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। अगर जांच आगे बढ़ती है और वीडियो की सच्चाई सामने आती है, तो यह सिर्फ़ एक नेता की छवि पर नहीं बल्कि पूरे राजनीतिक सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करेगा।
फिलहाल इतना तय है कि पवार बनाम IPS की यह भिड़ंत आने वाले दिनों में और सुर्खियाँ बटोरने वाली है।