देश में इस वक्त जोरों पर एक चर्चा है। हर कोई इस पर बात कर रहा है। विपक्ष के कई दल इसको लेकर केंद्र सरकार को समर्थन दे रहे हैं। ये है यूनिफॉर्म सिविल कोड, जिसे मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार पेश कर सकती है।
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नई दिल्ली। देश में इस वक्त जोरों पर एक चर्चा है। हर कोई इस पर बात कर रहा है। विपक्ष के कई दल इसको लेकर केंद्र सरकार को समर्थन दे रहे हैं। ये है यूनिफॉर्म सिविल कोड, जिसे मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार पेश कर सकती है।
मौजूदा वक्त की बात करें तो इस वक्त गोवा में यूनिफार्म सिविल कोड लागू है। उत्तराखंड में ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और जल्द लागू कर दिया जाएगा, लेकिन आखिर ये यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या होता है। इसमें क्या कुछ प्रावधान होते हैं। चलिए हम आपको बताते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड की खास बातें
सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर यूनिफॉर्म सिविल कोड होता क्या है। तो आम तौर पर किसी भी देश में दो तरह के कानून होते हैं। पहला क्रिमिनल और दूसरा सिविल कानून।
पहले आपको क्रिमिनल कानून के बारे में बताते हैं। क्रिमिनल कानून के तहत चोरी, लूट, मारपीट, हत्या जैसे मामलों की सुनवाई होती है। इन्हीं सभी धर्मों के लिए एक ही तरह के कोर्ट, प्रोसेस और सजा का प्रावधान होता है।
अब बात सिविल कानून की करते हैं। इस कानून के तहत शादी, ब्याह और संपत्ति से जुड़े मामले आते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर शादी, परिवार और संपत्ति से जुड़े मामले में रीति-रिवाज, संस्कृति और परंपराओं का खास महत्व होता है। जैसे मुस्लिमों की शादी के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ होते हैं। वहीं हिंदुओं के हिंदू मैरिज एक्ट और सिख ईसाईयों के लिए अलग पर्सनल लॉ होते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने का असर क्या है ?
अब बात करते हैं कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो इसका क्या असर होगा। दरअसल UCC लागू होने के बाद पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे और सबके लिए एक जैसा कानून बनाया जाएगा यानि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबके लिए एक सजा जैसी का प्रावधान किया जाएगा।
इसके अलावा शरीयत कानून भी खत्म हो जाएगा। साथ ही एक से अधिक शादी करने पर भी रोक लगाई जा सकती है। हलाला पर आघात हो सकता है। महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सा दिया जा सकता है। लिव इन रिलेशन भी इससे प्रभावित हो सकता है, उसको भी कानून के अंदर लाया जा सकता है। मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का अधिकार दिया जा सकता है।
बहरहाल, ये कानून सरकार के लिए भी लागू करना एक चुनौती है। ऐसे में अब देखने वाली बात ये होगी कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड पास हो जाता है तो केंद्र और प्रदेश सरकारें इसे कैसे लागू करती हैं।