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अमेरिका में शोधकर्ताओं ने ‘नकली सूरज’ किया तैयार,ऐतिहासिक न्यूक्लियर फ्यूजन का ऐलान

Nuclear Energy:ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी अमेरिका में शोधकर्ताओं ने हासिल कर ली है,अमेरिका के कैलिफोर्निया में शोधकर्ताओं ने लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में न्यूक्लियर फ्यूजन को लेकर यह बड़ी खोज की है,शोधकर्ताओं ने कथित तौर पर ऊर्जा के असीमित, सुरक्षित और स्वच्छ सोर्स को अनलॉक करने की खोज में बड़ी सफलता पायी है.एक्सपर्ट्स का दावा है कि इससे बड़ी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा मिल सकती है और साथ ही इससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सकती है.

By इंडिया वॉइस 

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New Delhi: ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी अमेरिका में शोधकर्ताओं ने हासिल कर ली है,अमेरिका के कैलिफोर्निया में शोधकर्ताओं ने लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में न्यूक्लियर फ्यूजन को लेकर यह बड़ी खोज की है,शोधकर्ताओं ने कथित तौर पर ऊर्जा के असीमित, सुरक्षित और स्वच्छ सोर्स को अनलॉक करने की खोज में बड़ी सफलता पायी है.एक्सपर्ट्स का दावा है कि इससे बड़ी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा मिल सकती है और साथ ही इससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सकती है.

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 पहली बार इतिहास में अमेरिका के कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने न्यूक्लिर फ्यूजन रिएक्शन को अंजाम दिया है, जिसके चलते सूर्य की तरह ही बिल्कुल शुद्ध ऊर्जा (कॉर्बन फ्री एनर्जी) का उत्पादन किया गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिसकी कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में राष्ट्रीय प्रज्वलन सुविधा को पुष्टि करनी है.पिछले कई वर्षों से शोधकर्ताओं ने परमाणु संलयन को फिर से बनाने की कोशिश की है और इस प्रक्रिया के जरिये वैज्ञानिकों ने सूर्य की तरह ही शक्ति देने वाली ऊर्जा की नकल करने की कोशिश की है. इसके चलते इसे नकली सूर्य कहा जाता है.

 

ग्रैनहोम वाशिंगटन में एक समाचार सम्मेलन में लिवरमोर के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह राष्ट्रीय इग्निशन सुविधा में शोधकर्ताओं और कर्मचारियों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिन्होंने फ्यूजन इग्निशन को एक वास्तविक बनाने के लिए अपने करियर को समर्पित किया है. वैज्ञानिकों के अनुसार अगर सबकुछ सही रहता है तो जीवाश्म ऊर्जा जैसे गैस, पेट्रोल और डीजल से अमेरिका की निर्भरता कम हो सकती है.इसका सबसे बड़ा नुकसान सऊदी अरब, रूस, कतर, ओमान और नाइजीरिया जैसे तेल उत्पादक देशों को हो सकता है.

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