ज्योतिष शास्त्र में सभी नौ ग्रहों का अपना विशेष महत्व बताया गया है। इन नवग्रहों में देव गुरु वृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है
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नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में सभी नौ ग्रहों का अपना विशेष महत्व बताया गया है। इन नवग्रहों में देव गुरु वृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि किसी भी जातक को कार्यों में मिल रही सफलता या असफलता के पीछे वृहस्पति ग्रह का विशेष योगदान होता है।
परंतु गुरु ग्रह से कई ऐसे योगों का निर्माण होता है जो मनुष्य के लिए अशुभ और परेशानियों से भरा होता है। नकारात्मक दोषों की श्रेणी में हमने अब तक बात की कालसर्प दोष के बारे में।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु चांडाल दोष को बेहद अनिष्टकारी योग माना जाता है। जब किसी जातक की कुंडली में बुद्धि के देवता गुरु और पाप ग्रह कहे जाने वाले राहु की युति होती है तब गुरु चांडाल दोष का निर्माण होता है। गुरु चांडाल दोष का मनुष्य के जीवन पर बेहद नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।