DRDO के 64वें स्थापना दिवस पर रक्षामंत्री ने वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को दी बधाई।
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नई दिल्ली, 01 जनवरी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को अपना 64वां स्थापना दिवस मनाया। आज ही के दिन 1958 में भारत को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विशेष रूप से सैन्य प्रौद्योगिकियों के मामले में मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए DRDO का गठन किया गया था।
63 सालों के दौरान DRDO ने देश में रक्षा अनुसंधान और विकास के परिदृश्य को बदला
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को DRDO के सभी वैज्ञानिकों और कर्मियों को उनके 64वें स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि वो भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अथक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि DRDO के वैज्ञानिक और कर्मी इसी जोश के साथ देश की सेवा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि 63 सालों के दौरान संगठन ने देश में रक्षा अनुसंधान और विकास के परिदृश्य को बदल दिया है।
Best wishes to all @DRDO_India scientists & personnel on their 64th Raising Day. They are working tirelessly towards strengthening India’s defence capabilities and making the country self-reliant in defence sector. May they keep serving the nation with the same zeal. https://t.co/ics3MmNpCL
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 1, 2022
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DRDO के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि पिछला साल कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई कठिन परिस्थिति में भी बड़ी सफलताओं और उपलब्धियों का था। महामारी के खिलाफ लड़ाई में DRDO की भूमिका के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड की मदद से 850 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा 2DG नाम की देश की पहली ओरल ड्रग विकसित की गई। देश के कई राज्यों में कोरोना केंद्रित अस्पताल बनाए गए हैं। डॉ. रेड्डी ने कहा कि पिछले एक साल 2021 में 175 से अधिक प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण हुआ है।
On #64thDRDODay, we reaffirm to build #CuttingEdge systems & #AdvancedTechnologies for defence of the Nation. Our continuous endeavour is to fortify indigenous scientific & technological capabilities for #AtmaNirbharBharat – Dr G Satheesh Reddy & DRDO fraternity
— DRDO (@DRDO_India) December 31, 2021
DRDO अध्यक्ष ने कहा कि उनका संगठन हाइपरसोनिक सिस्टम हासिल करने के लिए 5वीं पीढ़ी के उन्नत लड़ाकू विमान पर भी काम कर रहा है। स्वदेशी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास के मुद्दे पर हाल ही में DRDO ने एक सेमिनार भी बुलाई थी। DRDO अध्यक्ष ने बताया कि उनके संगठन ने देश में छात्रों के बीच रक्षा अध्ययन को लोकप्रिय बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने आने वाले सालों में देश को विश्व में अग्रणी और रक्षा अनुसंधान एवं उत्पादन के क्षेत्र में शुद्ध निर्यातक बनाने के लिए अपने संगठन की प्रतिबद्धता को दोहराया।