उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल नगर पालिका में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता संबंधी जनहित याचिका को सुनते हुए ईओ को सस्पेंड और चेयरमैन की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को सीज कर दिया। याचिका काशीपुर निवासी कृष्णपाल भारद्वाज ने दाखिल की थी।
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नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल नगर पालिका में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता संबंधी जनहित याचिका को सुनते हुए ईओ को सस्पेंड और चेयरमैन की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को सीज कर दिया। याचिका काशीपुर निवासी कृष्णपाल भारद्वाज ने दाखिल की थी।
न्यायालय से कहा था कि उनके टेंडर को नन्दा देवी और दूर्गा पूजा महोत्सव से इरादतन बाहर किया गया।इसमें पालिका ने गलत नियत के साथ रमेश सिंह सजवाण को नियमों की अनदेखी कर ठेका दिया था। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) पीआईएल के रूप में लिया था।
मुख्य न्यायाधीश ने पालिका में मनमानी और वित्तीय अनियमितता पर की तल्ख टिप्पणी
पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पालिका में मनमानी और वित्तीय अनियमितता को देखते हुए दोनों जिम्मेदारों पर तल्ख टिप्पणी भी की थी।मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने नैनीताल नगर पालिका में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता को देखते हुए जनहित याचिका में ईओ आलोक उनियाल को सस्पेंड कर दिया।
जबकि खंडपीठ ने चैयरमैन सचिन नेगी की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को सीज करते हुए सरकार से नगर पालिका के अकाउंटों की जांच करने को कहा। न्यायालय ने हाइकोर्ट के पूर्व जस्टिस इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर मामले की जांच करने के भी निर्देश जारी किए।