दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को निर्देश दिया है कि वो 17 फरवरी तक 2021 का बैलेंस शीट दाखिल करे।हाईकोर्ट ने यह आदेश दिल्ली मेट्रो के खिलाफ रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक पैसे देने की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
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नई दिल्ली, 14 फरवरी। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को निर्देश दिया है कि वो 17 फरवरी तक 2021 का बैलेंस शीट दाखिल करे। जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने दिल्ली मेट्रो को निर्देश दिया कि बैलेंस शीट में उसके बैंक खातों और फिक्स डिपॉजिट की जानकारी होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने यह आदेश दिल्ली मेट्रो के खिलाफ रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक पैसे देने की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
हाईकोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब दिल्ली मेट्रो की ओर से वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली मेट्रो के पास छह हजार करोड़ रुपये हैं लेकिन वे अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए हैं। उन्होंने कहा कि इन पैसों से दिल्ली में मेट्रो के तीसरे और चौथे चरण को विकसित करने के अलावा पटना और महाराष्ट्र में मेट्रो प्रोजेक्ट का निर्माण किया जाना है। उन्होंने रिलायंस के इस दावे का विरोध किया कि उसका दिल्ली मेट्रो पर सात हजार करोड़ रुपये का बकाया है बल्कि केवल तीन हजार करोड़ रुपये बकाया है।
कोर्ट ने 31 जनवरी को दिल्ली मेट्रो को निर्देश दिया था कि वो रिलायंस के बकाया रकम के भुगतान पर अपना रुख स्पष्ट करें। डीएमआरसी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि विभिन्न बैंकों के खातों में 6208 करोड़ रुपये हैं। 22 दिसंबर 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि वो रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक पैसे देने के संबंध में अपने बैंक खातों का विवरण दे। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा था कि डीएमआरसी ने एक हजार करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा कराए हैं। उन्होंने कहा था कि डीएमआरसी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर बकाया कर्ज को अपने ऊपर ले सकता है और बैंक को भुगतान कर सकता है। बैंक हमें किश्तों में उधारी चुकाने का विकल्प दे सकती है। इसके लिए डीएमआरसी ने कुछ बैंकों से बात भी की है।
सुनवाई के दौरान रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर से कहा गया था कि बैंकों के कंसोर्टियम की ओर से उन्हें एक पत्र मिला है कि उन्होंने डीएमआरसी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा था कि याचिका कोर्ट के आदेशों के पालन के लिए दायर की गई है। उन्होंने कहा था कि एक हजार करोड़ रुपये मिलने के बाद डीएमआरसी के पास 5800 करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड है जबकि बचत 6232 करोड़ 25 लाख रुपये है। इस पर डीएमआरसी की ओर से वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि अगर उसके बैंक खातों को जब्त किया गया तो मेट्रो सेवाएं ठप्प हो जाएंगी और इससे किसी का लाभ नहीं होगा। दिल्ली मेट्रो एक जरुरी सेवा है। बैंक और सरकार इस पर विचार करेगी।
रिलायंस इंफ्रास्ट्र्क्चर की सब्सिडियरी कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट ऐसेट्स का उपयोग जुलाई 2013 से ही डीएमआरसी कर रही है। बता दें कि 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के आर्बिट्रेशन के फैसले को बरकरार रखते हुए डीएमआरसी को रिलायंस इंफ्रा को ब्याज समेत रुपये चुकाने का आदेश दिया था। डीएमआरसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जून 2017 को आदेश दिया था कि डीएमआरसी डीएएमईपीएल को साठ करोड़ रुपये का भुगतान करे। डीएएमईपीएल रिलायंस इंफ्रा की सब्सिडियरी कंपनी है। डीएमआरसी ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंगल जज का ये फैसला अंतिम नहीं है और ये अवार्ड का एक हिस्सा भर है।