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च्यवनप्राश बनाने के लिए किन-किन जड़ी-बुटी का होता हैं उपयोग,जानें च्यवनप्राश बनाने की साम्रगी और विधि

च्यवनप्राश एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसके सेवन से आप बिना किसी नुकसान के अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बना सकते हैं

By इंडिया वॉइस 

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आज कल लोग इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तरह-तरह की चीजों का सेवन कर रहे हैं, लेकिन इनके उपयोग से शरीर को नुकसान भी पहुंच सकता है.लेकिन च्यवनप्राश एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसके सेवन से आप बिना किसी नुकसान के अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बना सकते हैं .आइए जानते हैं कि इसे बनाने में किन औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है और इसे कैसे बनाते हैं.

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च्यवनप्राश बनाने के सामग्री

पिप्पली- 100 ग्राम, बंशलोचन- 150 ग्राम, दालचीनी- 50 ग्राम, तेजपत्र- 20 ग्राम, नागकेशर- 20 ग्राम, छोटी इलायची- 20 ग्राम, केसर- 2 ग्राम, शहद – 250 ग्राम

5 किलो आंवले के साथ अगर आप च्यवनप्राश बना रही हैं तो इसके लिए आपको तीन किलो चीनी की जरूरत है. चीनी डालने की जरूरत इसलिए है कि च्यवनप्राश में ऐसी कई जड़ी बुटियां हैं जिनका स्वाद कड़वा है.

एक शुद्ध देसी घी और दूसरा तिल का तेल. आप इन दोनों तो 250 ग्राम की बराबर मात्रा में ले लें.

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च्यवनप्राश बनाने से लिए आपको सबसे पहले प्रधान सामग्री की जरुरत होती है और वो है आंवला. जो रेसिपी हम आपको बता रहे हैं उसके लिए आपको 5 किलो आंवला की जरुरत है. आंवला च्यवनप्राश बनाने के लिए सबसे जरूरी होता है. आंवला आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है ये तो हम सब जानते ही हैं.

अकरकरा, शतावरी, ब्राह्मी, बिल्व, छोटी हर्र (हरीतकी), बिदरीकन्द, सफेद चन्दन, वसाका, कमल केशर, जटामानसी, गोखरू, बेल, कचूर, नागरमोथा, लौंग, पुश्करमूल, काकडसिंघी, दशमूल, जीवन्ती, पुनर्नवा, अंजीर , अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी के पत्ते, मीठा नीम, सौंठ, मुनक्का, मुलेठी ये सब सामान संसाधन सामग्री का है. इन सबको बराबर 50 ग्राम मात्रा में ले लें. ये सब आपकी सेहत के लिए कितने फायदेमंद है ये च्यवनप्राश खाने के बाद आपको अपनी सेहत में सुधार देखकर समझ आ जाएगा. इन्हें खाने से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है.

च्वयनप्राश बनाने की विधि

• घर पर च्यवनप्राश बनाने के लिए आप सबसे पहले आंवला अच्छे से धोकर और फिर एस कपड़े की एक पोटली में बांध लें.
• अब आप एक बड़ा स्टील का बर्तन लें उसमें पानी डालें और फिर उसमें संसाधन सामग्री वाला सारी चीज़ें डाल दें और पोटली में बंधा आंवला भी इसी पानी में भिगों दें.
• इस बर्तन को आप गैस पर रख दें जब पानी अच्छे से उबलने लगें तो तो आप गैस को धीमी आंच पर रख दें और इसे आप 1-2 घंटे के लिए उबलने दें. आंवला नरम हो जाएगा। अब आप इसे गैस से उतार कर 10-12 घंटे के लिए ढक कर रख दें। आंवले और सारी जड़ी बूटियों का फायदा इसी पानी में आ जाएगा.
• आंवले में सारी जड़ी बूटियों का असर आ जाएगा इसका रंग भी बदल जाएगा. अब 10-12 घंटे बाद आप आंवले की पोटली को पानी से निकाल लें और इसकी गुठली निकालकर इसे काट लें.
• पानी में जो जड़ी बूटियां हैं उन्हें आप छलनी से छान लें। ध्यान रखें कि पानी को फेंकना नहीं है. च्यवनप्राश जब आप बना रही होंगी तब इसकी जरूरत आपको होगी. ये पानी बहुत ही फायदेमंद है. वैसे आप छलनी की जगह कपड़े का इस्तेमाल भी कर सकती हैं छानने के लिए.
• अब इस पल्प को आप लोहे की कढ़ाही में भून लें इसे जितना पकाएंगें ये उतना गाढ़ा हो जाएगा.
• अब आप कढ़ाही में तिल का तेल डाल कर गरम करें और इस गरम तेल में घी डालें जब तिल का तेल और घी अच्छी तरह गरम हो जाय तब आंवले का छाना हुआ पल्प डालिये और चमचे से हिलाती रहें.
• जब इस मिश्रण में उबाल आने लगे तब आप इसमें चीनी मिला दें. लगातार चम्मच से हिलाते हुए आप मिश्रण को चलाती रहें. ये जैसे-जैसे पकेगा और गाढा होता जाएगा ध्यान रखें कि आप इसे पतला करने के लिए जड़ी बूटी वाला पानी इस्तेमाल कर सकती हैं लेकिन इसे आप लोहे की कढ़ाही में ही पकाएं स्टील के बर्तन का इस्तेमाल ना करें. लोहे के बर्तन में खाना पकाने के बहुत फायदे होते हैं.
• जब मिश्रण अच्छी तरह से गाढ़ा हो जाए तो गैस बंद कर दें और इसे लोहे की कढ़ाही में ही 5-6 घंटे के लिए ढक कर पड़ा रहने दें. 5-6 घंटे बाद आप चाहें तो इसे स्टील के बर्तन में भी निकाल सकती हैं.
• अब सबसे लास्ट में बारी आती है प्रेक्षप सामग्री की इसमें छोटी इलायची को छील लें इसके बाद छिली हुई छोटी इलायची के दानो में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर को मिक्सी में एकदम बारीक पीस लें.
• अब इस पिसी सामग्री को शहद और केसर में मिलाकर आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से मिला दे.
आयुर्वेदिक च्यवनप्राश तैयार है.

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