हैदराबाद में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (आईएनएई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 11वां इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 26 सितंबर को शुरू हुआ। दो दिवसीय वार्षिक कॉन्क्लेव का उद्देश्य दो रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है। प्राथमिकताएं यानी, 'रक्षा अनुप्रयोगों के लिए एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग' और 'डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजीज'।
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नई दिल्ली। हैदराबाद में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (आईएनएई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 11वां इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 26 सितंबर को शुरू हुआ। दो दिवसीय वार्षिक कॉन्क्लेव का उद्देश्य दो रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है। प्राथमिकताएं यानी, ‘रक्षा अनुप्रयोगों के लिए एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग’ और ‘डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजीज’।
डीआरडीओ की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) में आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम स्वदेशीकरण में उभरती प्रौद्योगिकियों और प्रगति पर चर्चा करने के लिए इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत के नेताओं को एक साथ लाता है। कॉन्क्लेव का उद्घाटन मुख्य अतिथि, परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर और विशिष्ट अतिथि, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने किया। डीआरडीएल के निदेशक (हैदराबाद) श्री जीए श्रीनिवास मूर्ति, महानिदेशक, मिसाइल और सामरिक प्रणाली यू राजा बाबू और आईएनएई के अध्यक्ष प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना ने सभा को संबोधित किया।