भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) और राष्ट्रीय मानक निकाय ने आयुष क्षेत्र के लिए उन्नत मानकीकरण किया है। एक समर्पित मानकीकरण विभाग की स्थापना के साथ ब्यूरो ने इस क्षेत्र में मानकीकरण गतिविधि में तेजी ला दी है। नया विभाग आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को शामिल करते हुए आयुष उत्पादों और प्रथाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता को बढ़ावा देता है।
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नई दिल्ली। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) और राष्ट्रीय मानक निकाय ने आयुष क्षेत्र के लिए उन्नत मानकीकरण किया है। एक समर्पित मानकीकरण विभाग की स्थापना के साथ ब्यूरो ने इस क्षेत्र में मानकीकरण गतिविधि में तेजी ला दी है। नया विभाग आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को शामिल करते हुए आयुष उत्पादों और प्रथाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता को बढ़ावा देता है।
आयुष के लिए मानकीकरण गतिविधि की प्रक्रिया और संरचना की व्याख्या करते हुए बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि प्रसिद्ध विशेषज्ञों के नेतृत्व में बीआईएस में आयुष विभाग ने सात अनुभागीय समितियों का गठन किया है, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट आयुष प्रणाली को संबोधित करती है।
ये समितियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप व्यापक, साक्ष्य-आधारित मानकों को सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों, वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों, उद्योग प्रतिनिधियों और नियामक निकायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करती हैं। आज तक बीआईएस ने एकल जड़ी-बूटियों, आयुर्वेद और योग शब्दावली, पंचकर्म उपकरण, योग सहायक उपकरण और जड़ी-बूटियों में कीटनाशक अवशेषों के परीक्षण तरीकों जैसे विविध विषयों को कवर करते हुए 91 मानक प्रकाशित किए हैं।
विशेष रूप से पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों के लिए 80 स्वदेशी भारतीय मानकों का प्रकाशन उनके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को लाभ होता है। इसके अतिरिक्त, पंचकर्म उपकरणों के लिए पहले राष्ट्रीय मानक आयुष स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं की गुणवत्ता को बढ़ाते हुए रोगनिरोधी और चिकित्सीय प्रक्रियाओं में एकरूपता सुनिश्चित करते हैं।
पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए बीआईएस ने घरेलू निर्माताओं और किसानों का समर्थन करते हुए “कॉटन योगा मैट” के लिए एक स्वदेशी भारतीय मानक तैयार किया है। विभाग ने भविष्य के मानकीकरण क्षेत्रों की भी पहचान की है, जिनमें शब्दावली, एकल जड़ी-बूटियां, योग पोशाक, सिद्ध निदान और होम्योपैथिक तैयारी शामिल हैं।
लोगों के झुकाव को देखते हुए आयुष उत्पादों और सेवाओं में लगातार गुणवत्ता जरूरी
बीआईएस पहल की सराहना करते हुए सचिव आयुष, वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि जैसे-जैसे अधिक लोग पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की ओर रुख करते हैं, आयुष उत्पादों और सेवाओं में लगातार गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता की आवश्यकता अनिवार्य है। बीआईएस ने इस समर्पित विभाग की स्थापना करके और आईएस: 17873 ‘कॉटन योगा मैट’ जैसे महत्वपूर्ण मानक विकसित करके इस क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। ये पारंपरिक भारतीय चिकित्सा को बढ़ावा देने और विकसित करने में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं।