रांची, 11 फरवरी। झारखंड बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को राजभवन जाकर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा। बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन ने खनन पट्टा लिया। ये मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा को कलंकित करने का मामला है। जिसके हाथ में सत्ता होती है, उसको ये चिंता करनी चाहिए।
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भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ मा0 @jhar_governor श्री रमेश बैस जी से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कार्रवाई की मांग की।
मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने खनन पट्टा लिया। यह मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा को कलंकित करने का मामला है। जिसके हाथ में सत्ता होती है, उसको यह चिंता करनी चाहिए। pic.twitter.com/059oGp0YBs
— Raghubar Das (@dasraghubar) February 11, 2022
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ज्ञापन भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत हेमंत सोरेन की अयोग्यता की मांग करने के लिए याचिका, झारखंड विधानसभा के सदस्य एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(ई) के तहत अयोग्य हैं, (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा नौ (ए) के तहत अयोग्य), की सदस्यता रद्द करने और कानून सम्मत कार्रवाई करने के लिए सौंपा गया है।
किसी का अंगुली उठाने का मौका नहीं मिलना चाहिए। इस मामले में पद का दुरुपयोग हुआ है।
यह डिस्क्वालिफिकेशन का मामला बनता है। झारखंड की राजनीति को झामुमो-कांग्रेस-राजद ने व्यापार बना दिया है।
इन दलों का न्यूनतम साझा कार्यक्रम केवल इतना ही है कि सता का स्वाद तुम भी चखो, हम भी चखें। pic.twitter.com/Jm1qnnxOi9
— Raghubar Das (@dasraghubar) February 11, 2022
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जानकारी के मुताबिक ज्ञापन में कहा गया है कि हेमंत सोरेन 2019 में हुए चुनाव में बरहेट निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे। बाद में वो झारखंड के मुख्यमंत्री बने और आज तक इस पद पर हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री ने 2008 में ही अपने पक्ष में मौजा-अंगारा प्लॉट संख्या 482 में 0.88 एकड़ क्षेत्र में स्टोन माइनिंग लीज के संबंध में खनन योजना की स्वीकृति मांगी थी, जो विचाराधीन थी। मुख्यमंत्री बनते ही जिला खनन पदाधिकारी ने 10 जुलाई 2021 द्वारा उनके पक्ष में पत्थर खनन पट्टा मंजूर किया। इसके बाद उन्होंने अनगड़ा स्टोन जमा की पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने के लिए 9 सितम्बर को अपनी व्यक्तिगत क्षमता में विधिवत हस्ताक्षर किए और फॉर्म -एक पीएफआर जमा किया। 22 सितम्बर 2021 को राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, झारखंड की 92वीं बैठक में इसे विधिवत अनुमोदित किया गया था। खनन पट्टे के लिए आवेदन जो 2008 से लंबित था। 2021 में उसके सीएम के रूप में शामिल होने के बाद ही मंजूरी मिली, जो स्पष्ट रूप से सत्ता और स्थिति के दुरुपयोग के संदेह से परे साबित होता है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हेमंत सोरेन को झारखंड विधानसभा के सदस्य होने के साथ-साथ झारखंड के मुख्यमंत्री के पद से हटाने के लिए अयोग्य घोषित किया जाए और उनके खिलाफ अन्य कानूनी कार्रवाई शुरू करने का आदेश भी दिया जाए।