यूपी की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट परिसर में बुधवार को माफिया मुख्तार के शूटर संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
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लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट परिसर में बुधवार को माफिया मुख्तार के शूटर संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। फायरिंग में एक बच्ची, पुलिसकर्मी समेत 4 जख्मी हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर भाग गए। बदमाश वकील की ड्रेस में आए थे। उन्होंने पेशी पर आए संजीव जीवा पर ताबड़तोड़ फायरिंग की।
फायरिंग से कोर्ट परिसर में भगदड़
फायरिंग से कोर्ट परिसर में भगदड़ मच गई। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी था। वह मुजफ्फरनगर का कुख्यात बदमाश था। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना में कंपाउंडर की नौकरी करता था। बाद में उसी दवाखाना संचालक के मालिक को ही अगवा कर लिया।
भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में भी था शामिल
इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकत्ता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती में दो करोड़ की मांग की। इसके बाद वह हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा। फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा। शूटर संजीव जीवा भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में भी शामिल था।
हथियारों के शौकीन ने बनाया मुख्तार अंसारी का करीबी
उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में भी सामने आया। जिसमें संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। फिर जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने का नेटवर्क था।
कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया था नाम
इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया। हालांकि कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए।
इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे। इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।