NATO महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि नाटो के दरवाजे यूरोपीय लोकतंत्रों के लिए खुले हैं, जो हमारी साझा सुरक्षा में योगदान देने के लिए तैयार और इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि 32 देशों के साथ नाटो को और मजबूती मिलेगी।
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ब्रसेल्स, 05 जुलाई। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के 30 सदस्य देशों ने स्वीडन और फिनलैंड को नाटो की सदस्यता के लिए हरी झंडी दिखा दी है। मंगलवार को इन देशों ने नाटो में स्वीडन और फिनलैंड की स्वीकार्यता संबंधी एक्सेशन प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए।
An historic day for Euro-Atlantic security as all 30 #NATO Allies sign the Accession Protocols for #Finland & #Sweden. With 32 nations around the table, we will be stronger and safer, as we face a more dangerous world. pic.twitter.com/Mu0jjK9IuF
— Jens Stoltenberg (@jensstoltenberg) July 5, 2022
बतादें कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद NATO देशों के समीकरण बदले हैं। इसी बीच स्वीडन और फिनलैंड ने NATO का सदस्य बनने के लिए औपचारिक आवेदन किया था। रूस की चेतावनी के बावजूद इन आवेदनों पर तेजी से विचार हुआ। मंगलवार को मुख्यालय में NATO से जुड़े 30 देशों के राजदूतों ने फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो और स्वीडन की विदेश मंत्री एन लिंडे की मौजूदगी में फिनलैंड और स्वीडन के लिए एक्सेशन प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। पिछले सप्ताह मैड्रिड शिखर सम्मेलन में नाटो के मित्र देशों के नेताओं ने तुर्की, फिनलैंड और स्वीडन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के बाद फिनलैंड और स्वीडन को संगठन में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की थी।
One more important step forward. ⁰
Today, #NATO Allies signed the Accession Protocols for 🇫🇮 and 🇸🇪. We want to extend a sincere thank you to all Allies.
The next step on the road towards membership is the ratification process in all national parliaments.
#FinlandNATO pic.twitter.com/lUHKBPkncy— Finland at NATO (@FinMissionNATO) July 5, 2022
वहीं NATO महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इस मौके को फिनलैंड, स्वीडन और नाटो देशों की साझा सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण करार दिया। उन्होंने कहा कि नाटो के दरवाजे यूरोपीय लोकतंत्रों के लिए खुले हैं, जो हमारी साझा सुरक्षा में योगदान देने के लिए तैयार और इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि 32 देशों के साथ नाटो को और मजबूती मिलेगी। इस समय NATO देश पिछले कई दशकों के सबसे बड़े सुरक्षा संकट का सामना कर रहे हैं, इस फैसले से सुरक्षा का भाव भी बढ़ेगा।