विश्लेषकों का अनुमान है कि उत्पादन क्षमता की कमी और इस क्षेत्र में सीमित निवेश के कारण कच्चे तेल की कीमत 90 या 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर उठा सकता है।
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लंदन, 13 जनवरी। आपूर्ति की अपेक्षा मांग ज्यादा होने की वजह से साल 2021 की तरह ही साल 2022 में भी तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी। साल 2021 में तेल के दामों में 50 % की बढ़ोतरी हुई थी। विश्लेषकों का अनुमान है कि उत्पादन क्षमता की कमी और इस सेक्टर में सीमित निवेश की वजह से कच्चे तेल की कीमत 90 या 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर उठा सकती है।
कच्चे तेल की कीमत बुधवार को 85 डॉलर रही
हालांकि ओमिक्रॉन वेरिएंट ने कोरोना वायरस के मामलों को पिछले साल की तुलना में पीछे छोड़ दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि तेल की कीमतों को कई सरकारों की अनिच्छा से समर्थन मिलेगा, जो कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले सख्त प्रतिबंधों को बहाल करने के लिए है। कच्चे तेल की कीमत बुधवार को 85 डॉलर रही, जो पिछले दो महीने का उच्चतम है।
चीन को तीसरी लहर का सामना नहीं करना पड़ा
OANDA के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक जेफरी हैली ने बताया कि चीन को तीसरी लहर का सामना नहीं करना पड़ा है। ओपेक और बाकी देशों का उत्पादन सीमित होने कारण मुझे कोई कारण नजर नहीं आता कि कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होगा। हालांकि कई छोटे उत्पादक आपूर्ति नहीं बढ़ा सकते हैं और अन्य नए कोविड-19 असफलताओं के मामले में बहुत अधिक तेल उत्पादन करने से सावधान रहे हैं।