भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 26 सितंबर को सियाचिन बेस कैंप का दौरा किया और सियाचिन युद्ध स्मारक पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन शुरू होने के बाद से शहीद हुए सैनिकों और अधिकारियों के बलिदान का प्रतीक है। 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर मेघदूत। उन्होंने वहां तैनात सैनिकों को भी संबोधित किया।
Updated Date
नई दिल्ली। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 26 सितंबर को सियाचिन बेस कैंप का दौरा किया और सियाचिन युद्ध स्मारक पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन शुरू होने के बाद से शहीद हुए सैनिकों और अधिकारियों के बलिदान का प्रतीक है। 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर मेघदूत। उन्होंने वहां तैनात सैनिकों को भी संबोधित किया।
सैनिकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में उन्हें उन पर बहुत गर्व महसूस होता है और सभी नागरिक उनकी बहादुरी को सलाम करते हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि अप्रैल 1984 में ऑपरेशन मेघदूत शुरू होने के बाद से भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों और अधिकारियों ने इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
उन्हें गंभीर मौसम की स्थिति का सामना करना पड़ता है। भारी बर्फबारी और माइनस 50 डिग्री तापमान जैसी कठिन परिस्थितियों में भी ये पूरी निष्ठा और सतर्कता के साथ अपने मोर्चे पर तैनात रहते हैं। वे मातृभूमि की रक्षा में त्याग और सहनशीलता का असाधारण उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने जवानों से कहा कि सभी भारतीय उनके बलिदान और वीरता से परिचित हैं और हम उनका सम्मान करते हैं।