साल का आखिरी सूर्यग्रहण आज 25 अक्टूबर को लगने जा रहा है. भारत में इसका सूतक काल भोर में सुबह 4 बजे के बाद मान्य होगा. इसलिए गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर की अपेक्षा 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा और भईया दूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा
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साल का आखिरी सूर्यग्रहण दिवाली के अगले दिन यानी आज लगने जा रहा है. सूर्य ग्रहण तब लगता है, जब सूरज और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता और वह सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर आने से कुछ समय के लिए रोक देता है. जानें भारत में सूर्य ग्रहण लगने का समय क्या है और कहां-कहां देखा जा सकेगा.
भारत में कहां-कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहण
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि पर ही लगता है. इस बार कार्तिक अमावस्यता तिथि 25 अक्तूबर हो और इसी दिन आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा. देश के खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार दिवाली के बाद लगने वाला सूर्य ग्रहण देश के उत्तरी और पश्चिमी भागों में आसानी के साथ देखा जा सकेगा,जबकि पूर्वी भागों में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा क्योंकि यहां पर सूर्यास्त जल्दी हो जाएगा. भारत में ग्रहण की शुरुआत शाम के 4 बजे के बाद ही होगी.
देश में यहां दिखेगा सूर्य ग्रहण-
दिल्ली, राजस्थान,पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड. जम्मू, श्रीनगर, लेह और लद्दाख
देश के इन हिस्सों में कुछ समय के लिए दिखेगा सूर्य ग्रहण-
दक्षिण भारत के हिस्से जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक,मुंबई, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और बंगाल.
देश के इन हिस्सों में नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
देश के पूर्वी भागों में असम,अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड .
इस राशि में लगेगा सूर्य ग्रहण
ज्योतिष गणना के अनुसार दिवाली के बाद यानी 25 अक्तूबर को लगने वाला सूर्यग्रहण तुला राशि में लगेगा.
दुनिया के किन हिस्सों में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
25 अक्तूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा फिर 08 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा। यह सूर्य ग्रहण यूरोप, उत्तरी-पूर्वी अफ्रीका, मध्य और पश्चिमी एशिया, ऐशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और प्रशांत महासागर.
क्या होता है सूर्यग्रहण?
आकाश में जब किसी चीज का हिस्सा दूसरे ग्रह से ढंक जाता है, तब उसे ग्रहण कहते हैं. ये दो तरह के होते हैं. पहला- सूर्य और दूसरा चंद्र ग्रहण. सूर्य ग्रहण तब लगता है, जब सूरज और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता (वह सूर्य की रोशनी रोकता है और चांद की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है) है और हमें सूरज का हिस्सा नहीं दिखता है. जहां-जहां भी परछाई नजर आती है, वहां सूर्य ग्रहण कहा या माना जाता है. यह तीन प्रकार का है- आंशिक, वलयाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण.
ग्रहण में क्या करें और क्या न करें?
जब भी कोई ग्रहण लगता है उसके पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है. सूर्यग्रहण होने पर 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण लगने पर 5 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. सूतक काल को अशुभ माना गया है इसलिए सूतक लगने पर पूजा-पाठ,धार्मिक अनुष्ठान और शुभ काम नहीं किए जाते हैं. मंदिर के पट बंद दो जाते हैं. ग्रहण में न तो खाना पकाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है. ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप और ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान किया जाता है. ग्रहण की समाप्ति होने पर पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव किया जाता है.
क्या न करें
ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए.
ग्रहण के दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए.
ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए.
क्या करें
ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए.
ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए.
ग्रहण के दौरान इसके असर को कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए.
ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.