संविधान में दर्ज शब्द किसी राष्ट्र की आत्मा का दावा करते हैं, पर उस आत्मा की वास्तविक परीक्षा समाज के व्यवहार से होती है। बांग्लादेश स्वयं को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है, किंतु हाल की घटनाएँ इस दावे और ज़मीनी सच्चाई के बीच बढ़ती खाई को

