केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में विवाद बढ़ता जा रहा है हालांकि ये विवाद कोई आज का नहीं है. विवाद की शुरुआत तो योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही शुरू हो गई थी.
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लखनऊ। केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में विवाद बढ़ता जा रहा है हालांकि ये विवाद कोई आज का नहीं है. विवाद की शुरुआत तो योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही शुरू हो गई थी. उस समय केशव खुद को सीएम उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे लेकिन मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बन गए. उसके बाद से योगी और केशव के बीच जो मतभेद शुरू हो गया वो समय-समय पर सामने आता रहा है
UP में लोकसभा चुनाव का परिणाम सीएम योगी के लिए मुसीबत दिखाई दे रहा है सीएम की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं सरकार और संगठन के बीच का विवाद अब खुलकर सामने आ गया ह खास बात यह है की प्रयागराज मंडल की समीक्षा बैठक में भी डिप्टी सीएम केशव मौर्य नहीं आए तो शक की कोई गुंजाइश नहीं रही केशव ने एक तरह से सीएम के खिलाफ पॉलिटिकल लाइन खींचने की शुरुआत कर दी है
लोकसभा चुनाव में पार्टी की कमजोर स्थिति दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव और 2027 में पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाने को लेकर मंडलवार समीक्षा बैठक चल रही है
बैठक में सीएम योगी सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और मंडल से जुड़े पार्टी के पदाधिकारी भाग ले रहे हैं. लेकिन केशव मौर्य किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए CM योगी आदित्यनाथ इससे पहले भी बैठक कर चुके हैं. उस बैठक में भी डिप्टी CM केशव मौर्य शामिल नहीं हुए, तब कहा गया कि केशव मौर्य पार्टी के काम के सिलसिले में दिल्ली में हैं. लेकिन जब प्रयागराज मंडल की बैठक में केशव नहीं आए तो फिर योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के बीच के राजनैतिक मतभेद खुलकर सामने आ गए
सरकार और संगठन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. ये मुद्दा सबसे पहले बीजेपी की कार्य समिति में केशव मौर्य ने उठाया. कार्यसमिति में केशव ने कहा कि “संगठन सरकार से बड़ा होता है.” बाद में केशव मौर्य जेपी नड्डा से मिलने के बाद बाकायदा इसको सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी लिखा अब पार्टी के विधायक भी इस मुद्दे पर खुलकर बयान देते नजर आ रहे हैं
22 के विधानसभा चुनाव के पहले भी केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री पर तंज करते हुए कहा कि सरकार से संगठन बड़ा है और संगठन की हर बात सरकार को माननी चाहिए. 2022 के चुनाव में सिराथू से केशव के हारने के बाद केशव का सीएम योगी से संबंध अच्छे होने की संभावना पर विराम लग गया
2022 में फिर से बीजेपी सत्ता में आई तो योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने. सिराथू से चुनाव हारने वाले केशव प्रसाद मौर्य फिर सीएम बनने से चूक गए. जिसकी कसक कभी-कभी बाहर आ जाती है
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच दूरियां फिर बढ़ती चली गईं स्थिति यहां तक हुई कि कैबिनेट की तीन बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नहीं गए जबकि लखनऊ में उनकी उपस्थिति थी
हालांकि एक बैठक के दौरान दिल्ली में भी मौजूद थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने चुनाव के बाद जब अहम बैठक बुलाई तो उसमें भी केशव मौजूद नहीं थे इसके बाद मुख्यमंत्री ने 10 सीटों पर उपचुनाव को लेकर मंत्रियों की टीम बनाई, जिसमें दोनों डिप्टी सीएम को जगह नहीं मिली