'कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स' का पता आप इन संकेत के जरिए लगा सकते हो!
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नई दिल्ली । दिल में छेद होना बड़ी बात होती है किसी को भी होती है तो चिंता में आ जाते है कई लोगों में जन्म से देखी जाती है यह बीमारी तो कई लोगों के अंदर यह बीमारी होती है लेकिन पता नहीं चलती है और दिल में छेद की बीमारी को मेडिकल भाषा में ‘कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स’ कहते हैं । अगर दिल में छेद होता है तो नवजात बच्चों का शरीर ठीक से विकास नहीं कर पाता। कई बार माता-पिता परिवार वाले दिल में होने वाले छेद के शुरुआती लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं। जिसके कारण शिशुओं की मौत भी हो जाती है। चलिए तो जानते है कैसे पता चलता है कि दिल में छेद है या नहीं
दिल में छेद के लक्षण
एक रिपोर्ट की मानें तो दिल में छेद का मतलब है कि हार्ट के बीच वाले दीवार में छेद होना। जिसके कारण ब्लड एक चैम्बर से दूसरे चैम्बर में खुद से लीक होने लगता है। नवजात शिशुओं में इसके लक्षण शुरुआत में पहचाने नहीं जाते है। इसकी पहचान करने के लिए अल्ट्रासाउंड टेस्ट किया जाता है।
बता दें कि शिशुओं के दिल में छेद होने पर बॉडी का टेंपरेचर हमेशा बढ़ा हुआ रहता है। गर्मी के मौसम में भी ठंड लग सकती है। ऐसे केस में डॉक्टर की सलाह ले।
दिल में छेद होने की वजह से मरीज के फेफड़ों पर इसका असर पड़ता है साथ ही इसकी वजह से फेफड़ों में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
दिल में छेद होने पर बोलते या चलते-फिरते समय पर सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। साथ ही साथ बच्चों को बोलने में परेशानी हो सकती है।
दिल में छेद होने पर बच्चे का रंग नीला पड़ जाता है। होंठ और नाखून पर इसका काफी ज्यादा असर देखने को मिलता है।