उत्तराखंड में UKSSSC पेपर लीक मामले में हुई कार्रवाई के बाद अब 7 अन्य मामलों की जांच शुरू, 35 से 40 ऐसे दारोगा हो सकते है बर्खास्त
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उत्तराखंड में UKSSSC पेपर लीक मामले में हुई कार्रवाई के बाद अब 7 अन्य मामलों की जांच शुरू हो गयी है, जिसमें साल 2015 में हुई पुलिस दारोगा भर्ती भी शामिल है. इस भर्ती की जांच अब उत्तराखंड विजिलेंस विभाग शुरू कर रहा है. माना जा रहा है कि 2015 की दारोगा भर्ती में कई ऐसे भी लोग भर्ती हुए, जिन्होंने गलत तरीका इस्तेमाल किया. अब विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी है. इस जांच के पीछे कारण यही सामने आ रहा है कि पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने जो ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां की हैं, उनमें से कुछ आरोपियों से पूछताछ में दारोगा भर्ती में घपले की बात सामने आई है.
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के ज़रिये हुई स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा में पेपर लीक मामले में STF ने कार्रवाई करते हुए अब तक 30 आरोपियों को अरेस्ट किया है. इनमें से कुछ ऐसे भी आरोपी हैं, जिन्होंने पूर्व में हुई भर्तियों में भी घपले किए थे. इनके खिलाफ STF के साथ विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि आरोपी हाकम सिंह, केंद्र पाल सिंह, चंदन मनराल, शशिकांत के साथ आरआईएमएस कम्पनी के मालिक राजेश चौहान की दारोगा भर्ती में अहम भूमिका रही. इन्होंने मोटी रकम लेकर कई अभ्यर्थियों को भर्ती करवाया.
वहीं सूत्रों के हवाले से खबर है कि 339 पदों पर हुई दारोगाओं की भर्ती में से 10 फीसदी या उससे ज़्यादा यानी 35 से 40 ऐसे दारोगा हैं, जो फर्जी तरीका अपनाकर भर्ती हुए थे. इन भर्तियों में पेपर लीक मामले में पकड़े गए आरोपियों की अहम भूमिका है. माना जा रहा है कि जांच शुरू होते ही कार्रवाईयों में भी तेजी देखने को मिलेगी और सभी फर्जी दारोगाओं पर मुकदमा दर्ज होगा. इन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है. बता दें कि इससे पहले विधानसभा में हुई दर्जनों फर्ज़ी भर्तियों पर सीएम पुष्कर सिंह धामी कड़ा रुख दिखा चुके हैं और 70 से ज़्यादा ऐसी नियुक्तियों को बर्खास्त किए जाने की संभावना बन रही है.