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लड़की हूँ, मैं लड़ सकती हूँ मुहिम को लगा बड़ा झटका, पढ़ें क्या है पूरा मामला ?

By इंडिया वॉइस 

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Supporters hold party flags during an election campaign rally by India's ruling Congress party president Sonia Gandhi in Mumbai April 26, 2009. REUTERS/Punit Paranjpe (INDIA POLITICS ELECTIONS) - GM1E54Q1QHD01

Uttarakhand Assembly Election : विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राज्य में दल बदल का खेल शुरू हो गया है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा की ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ वाली मुहिम को उत्तराखण्ड में बड़ा झटका लगा है। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल की पूर्व विधायक सरिता आर्य दो अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ भाजपा में शामिल हो गई हैं। उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की मौजूदगी में सोमवार को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई।

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चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के लिए बड़ा झटका 

सोमवार को बलवीर रोड स्थित पार्टी कार्यालय पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कांग्रेस महिला अध्यक्ष सरिता आर्य को विधिवत भाजपा की सदस्यता दिलाई। उनके साथ महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष रेखा बोहरा और प्रदेश महामंत्री वंदना गुप्ता भी भाजपा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री और कौशिक ने उन्हें गुलदस्ता भेंट कर उनका स्वागत किया। कांग्रेस के लिए चुनाव से एन पहले इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।

सरिता आर्य को था टिकट कटने का डर

आपको बता दें कि दो दिन पहले सरिता आर्य ने देहरादून में कांग्रेस कार्यालय पर पत्रकारों से कहा था कि अगर कांग्रेस में उनकी अनदेखी हुई और भाजपा उनको टिकट देगी तो कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थाम लेंगी। तब ही विधानसभा चुनाव में उनकी नई पारी शुरू करने के कयास लगने लगे थे। पिछले चुनाव में सरिता आर्य कांग्रेस की टिकट पर नैनीताल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी थीं।

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तब वे भाजपा के संजीव आर्य से चुनाव हार गई थीं। पिछले दिनों संजीव आर्य अपने पिता एवं कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के साथ भाजपा छोड़ कांग्रेस में वापसी कर गए थे। इससे सरिता आर्य को टिकट कटने का डर सता रहा था। कहा भी यही जा रहा है कि कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे विधायक संजीव आर्य कांग्रेस में शामिल भी इसी शर्त पर हुए थे कि बाप-बेटे दोनों को पार्टी टिकट देगी। ऐसे में सरिता आर्या को टिकट कटने का डर सता रहा था।

कांग्रेस पर लगाया महिलाओं की उपेक्षा करने का आरोप 

इस मौके पर सरिता आर्य ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री की नीतियों से प्रभावित होकर शामिल हुई हैं। अभी कोई शर्त नहीं है, पार्टी जो जिम्मेदारी देगी उसे निर्वहन करेंगी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अंदर महिलाओं को इस्तेमाल कर घोर उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी का मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं, का नारा एक फरेब है और कुछ नहीं। कांग्रेस में महिलाओं को पार्टी में सम्मान से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में यशपाल आर्य और संजीव आर्य को आने मेरी अनदेखी की गई।

2012 में नैनीताल से पहली बार लड़ी थीं चुनाव 

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यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने पर सरिता आर्य ने इसका खुलकर विरोध किया था। सरिता ने सोशल मीडिया पर भी अपनी भड़ास निकाली थी। यानी सरिता आर्य ने उसी समय पार्टी को संकेत दे दिया था कि उनकी अनदेखी की गई तो वह पार्टी छोड़ सकती हैं।

सरिता पहली बार 2012 में नैनीताल से विधानसभा चुनाव लड़ी थीं। उस चुनाव में उन्होंने भाजपा के हेम आर्य को चुनाव हराया था। इसके पहले वह नगरपालिका नैनीताल की अध्यक्ष थीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सरिता को टिकट दिया लेकिन वह चुनाव वह हार गईं।

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