मां धारी देवी नौ साल बाद अपने स्थायी भवन में विराजमान होंगी. मां को 28 जनवरी को उनके स्थायी मंदिर में स्थापित किया जाएगा.
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Dhara Devi Mandir: आखिरकार लंबे इंतजार के बाद धारी देवी की मूर्ति नवनिर्मित मंदिर में विराजमान होगी. मंदिर के पुजारी न्यास ने शिफ्टिंग के लिए 28 जनवरी का दिन तय किया है. सोमवार को पुजारी न्यास ने क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को भी कार्यक्रम में शिरकत करने का न्योता दिया है.
दिन में तीन बार रूप बदलती है प्रतिमा
मंदिर के पुजारी ने बताया कि सिद्धपीठ धारी देवी का ये मंदिर श्रीनगर से करीब 13 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी किनारे स्थित था.यहां भक्त हर रोज दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं. धारी देवी की प्रतिमा को लेकर मान्यता है कि यह प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है,जहां हर दिन माता को अलग अलग रूपों में भक्त देखते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद माता धारी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. मां की मूर्ति सुबह के समय एक कन्या के रूप में नजर आती है तो दिन के समय यह एक युवती का रूप धारण कर लेती है, जबकि शाम के समय यह प्रतिमा वृद्धा का रूप ले लेती है. माता को लेकर मान्यता है कि वह चारधाम की रक्षा करती हैं और मां को पहाड़ों की रक्षक देवी भी माना जाता है.
2013 की केदारनाथ आपदा से ठीक पहले हटाया गया था
मां धारी देवी का मंदिर वाला क्षेत्र श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद डूब रहा था. जिसके बाद परियोजना संचालित करने वाली कंपनी ने पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण करवाया था और देवी की मूर्ति को जलस्तर को देखते हुए उनके मूल स्थान से हटाया गया था. माना जाता है कि इसकी वजह से उस साल केदारनाथ आपदा आई थी, जिसमें सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे. कहा जाता है कि माता की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को हटाया गया था और उसके महज कुछ ही घंटों बाद केदारघाटी में भयंकर आपदा आ गई थी.
पुजारी न्यास के सचिव जगदंबा प्रसाद पांडेय ने बताया कि 28 जनवरी की सुबह शुभ मुहूर्त में धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी की प्रतिमाएं अस्थायी परिसर से नवनिर्मित मंदिर परिसर में स्थापित कर दी जाएगी। इस दिन भक्तों के लिए मंदिर सुबह 9.30 बजे के बाद खोला जाएगा.