राजस्थान की जालौर लोकसभा सीट में दो जिले लगते है जालौर और सिरोही. ये दोनो जिले 2004 से बीजेपी का गढ़ रहे है. इस बार भाजपा ने जालौर से लुंबाराम चौधरी को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने पुर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को टिकट दिया है. जानते है जालोर-सिरोही सीट का सियासी गणित
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जालोर-सिरोही लोकसभा सीट
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर लुंबाराम चौधरी मोदी के नाम पर खुद को आम कार्यकर्ता और वैभव को बाहरी बताकर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं वैभव पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजनाओं के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां चौधरी, माली और देवासी वोटर सबसे ज्यादा हैं. वैसे तो यह वोट बैंक बीजेपी का है, लेकिन अशोक गहलोत सामाजिक समझौते कर इन्हें साधने में लगे हैं. राजस्थान के जालौर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीट आती हैं. इनमें जालौर, आहोर, भीनमाल, सांचोर, रानीवाड़ा, सिरोही, पिंडवाड़ा-आबू और रेओदर विधानसभा सीट शामिल हैं.
इनमें से 4 सीटो पर बीजेपी, तीन पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय विधायक है. जालौर लोकसभा सीट पर 2004 से अब तक लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है. किसी समय में यह सीट कांग्रेस पार्टी का गढ़ मानी जाती थी. केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह यहां से 4 बार सांसद रह चुके हैं.
दरअसल, जालौर सीट के बारे में ये कहा जाता है कि यहां से कोई भी बाहरी उम्मीदवार आकर भी आसानी से जीत जाता है. पूरे इलाके में सिख समुदाय की संख्या बिल्कुल नगण्य होने के बाद भी बूटा सिंह यहां से चार बार सांसद चुने गए थे. इनके अलावा दक्षिण भारत के हैदराबाद से आकर बीजेपी नेता बंगारू लक्ष्मणा की पत्नी भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं.
इसलिए वैभव गहलोत ने अपना गृहनगर जोधपुर छोड़कर जालौर से हुंकार भरी है. यहां माली वोटर भी अच्छी तादाद में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत इससे पहले जोधपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे. उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे. इसके बाद भी वैभव गहलोत बीजेपी उम्मीदवार गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने चुनाव हार गए थे. इस बार कांग्रेस ने वैभव गहलोत को जालौर से टिकट दिया है.
इस क्षेत्र की जनता ने आखिर किसे अपना मत देकर विजयी बनाया है ये तो अब 4 जून को ही पता चल पाएगा.