मार्बल नगरी से विख्यात राजसमंद की लोकसभा सीट पर इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है.दोनो ही बड़ी पार्टीयों ने राजसमंद लोकसभा सीट पर नए प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे है, वहीं ये दोनो ही पार्टियां जीत का दम भर रही है. राजसमंद लोकसभा सीट का जानते है,सियासी गणित.
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राजसमंद लोकसभा सीट
साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई राजसमंद लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 2009 में हुआ था.उस समय कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत यहां से सांसद चुने गए थे.इसके बाद 2014 में यह सीट भाजपा की झोली में चली गई और पहले हरिओम सिंह राठौड़ और फिर 2019 में दिया कुमारी यहां से सांसद चुनी गईं.अब यहां चौथी बार चुनाव हुए है.इसमें एक तरफ बीजेपी हैट्रिक लगाने की तैयारी में है तो कांग्रेस ने भी भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया है.
इस लोकसभा क्षेत्र में राजसमंद जिले की चार विधानसभा सीटें नाथद्वारा, राजसमंद, कुंभलगढ और भीम हैं,वहीं बाकी चार विधानसभा सीटें पाली की जैतारन, नागौर की मेरटा, डेगाना और अजमेर जिले की ब्यावर हैं.इन सभी 8 विधानसभा सीटों पर इस समय बीजेपी के ही विधायक हैं.
राजसमंद में बीजेपी इस बार हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी है.यहां से बीजेपी प्रत्याशी मेवाड़ के पूर्व राजघराने की बहू महिमा सिंह मेवाड़ हैं.हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पति विश्वराज सिंह मेवाड़ के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी.जनता से जुड़ाव का फायदा उन्हें अब मिल सकता है.वहीं, कांग्रेस में प्रत्याशी बदलने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है.दामोदर गुर्जर को भीलवाड़ा से टिकट देने के बाद उनकी सीट बदलकर राजसमंद कर दी गई.
जबकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और नाथद्वारा के विधायक रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी को भीलवाड़ा से टिकट दिया गया.सीपी जोशी को राजसमंद से टिकट नहीं देना इस चुनाव में चर्चा का विषय बना रहा है.राजसमंद लोकसभा सीट जहां काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला.अब सिर्फ नतीजों का इंतजार है.