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NCPCR Report In Supreme Court : 21 महीनों में 1.47 लाख बच्चों ने कोरोना महामारी के चलते अपने माता-पिता को खोया, SC में NCPCR की रिपोर्ट

NCPCR के ताजा आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी के दौर में 01 अप्रैल 2020 के बाद से देश के 1 लाख 47 हजार 492 बच्चों ने अपने माता, पिता या दोनों में से किसी एक को खोया है।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

नई दिल्ली, 16 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय बाल सुरक्षा आयोग (NCPCR) ने कोरोना महामारी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। NCPCR के ताजा आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 के वक्त 1 अप्रैल 2020 के बाद से भारत के 1 लाख 47 हजार 492 बच्चों ने अपने माता, पिता या फिर दोनों में से किसी एक को खोया है। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले करीब 2 साल में अनाथ हुए बच्चों में से ज्यादातर के माता-पिता की जान कोविड-19 या फिर किसी दूसरी घटना में गई है। सुप्रीम कोर्ट को NCPCR ने ये जानकारी दी है।

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‘बाल स्वराज पोर्टल-कोविड केयर’ के आंकड़ें

बतादें कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल सुरक्षा आयोग से पूछा था कि उन बच्चों की संख्या बताएं, जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अपने माता-पिता को गंवा दिया है?। इसी को लेकर NCPCR ने ये आंकड़े कोर्ट में पेश किए हैं। इस दौरान आयोग ने ये भी कहा कि उनके पास ये आंकड़े 11 जनवरी 2021 तक के हैं। इन आंकड़ों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से ”बाल स्वराज पोर्टल-कोविड केयर” पर दिए गए डेटा के आधार पर पेश किया गया है।

कोविड-19 से माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों की संख्या 1, 47, 492- NCPCR

NCPCR के मुताबिक 11 जनवरी तक जो डेटा अपलोड हुआ है, उससे पता चलता है कि भारत में अप्रैल 2020 से लेकर अब तक दोनों माता और पिता को खोने वाले बच्चों की संख्या 10 हजार 94 है, जबकि माता और पिता में किसी एक को गंवाने वालों की संख्या 1 लाख 36 हजार 910 है। इसके अलावा छोड़े गए बच्चों की संख्या 488 है। इन सभी आंकड़ों को देखा जाए तो देश में माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों की संख्या 1 लाख 47 हजार 492 पहुंची है।

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कितनी उम्र के बच्चों ने गंवाए अपने माता-पिता ?

कोरोना से माता-पिता गंवाने वाले बच्चों में 76 हजार 508 लड़के है, जबकि 70 हजार 980 लड़कियां हैं। जबकि 4 ट्रांसजेंडर बच्चे भी इस लिस्ट में शामिल रहे हैं। एफिडेविट के मुताबिक जिस उम्र वर्ग के बच्चे महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, उनमें 8 से 13 साल के 59,010 बच्चे। 14 से 15 साल के 22 हजार 763 बच्चे। 16 से 18 उम्र के 22 हजार 626 बच्चे शामिल हैं। इसके साथ ही 4 से 7 साल की उम्र बीच के 26,080 बच्चों के माता या पिता या दोनों की इस दौरान जान गई।

किन राज्यों में मां-पिता खोने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा ?

अप्रैल 2020 से कोविड और अन्य कारणों से अपने माता या पिता या फिर माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों का राज्यों के हिसाब से विवरण देते हुए NCPCR ने कहा कि ऐसे बच्चों की अधिकतम संख्या ओडिशा में 24 हजार 405 है। इसके बाद महाराष्ट्र में 19 हजार 623, गुजरात में 14 हजार 770, तमिलनाडु में 11 हजार 14, उत्तर प्रदेश में 9 हजार 247, आंध्र प्रदेश में 8 हजार 760, मध्य प्रदेश में 7 हजार 340, पश्चिम बंगाल में 6 हजार 83, दिल्ली में 6 हजार 629 और राजस्थान में 6 हजार 827 बच्चों की संख्या है।

माता-पिता खोने वाले बच्चों की फिलहाल क्या स्थिति है ?

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NCPCR ने बच्चों के आश्रय की मौजूदा स्थिति की भी जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतम बच्चे 1 लाख 25 हजार 205 माता या पिता में से किसी एक के साथ रहे हैं, जबकि 11 हजार 272 बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ और 8 हजार 450 बच्चे अभिभावकों के साथ हैं। हलफनामे में कहा गया है कि 1 हजार 529 बच्चे बाल गृहों में हैं, 19 खुले आश्रय गृहों में, 2 अवलोकन गृहों में है, 188 अनाथालयों में रह रहे हैं। 66 विशेष गोद लेने वाली एजेंसियों में और 39 छात्रावासों में हैं। आयोग ने शीर्ष कोर्ट को सूचना दी है कि वो हर एक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के NCPCR के साथ बैठकें कर रहा है और उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ भी एक बैठक 19 जनवरी को होने वाली है।

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