दशहरा पर्व के मौके पर मेरठ में पिछले 100 वर्षों से गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिल रही है। मेरठ शहर में तैयार होने वाले रावण व कुंभकरण के पुतले मेरठ का एक मुस्लिम परिवार अपनी पांच पीढ़ियों से बनाता आ रहा है। दादा की विरासत को अब पोता बदस्तूर निभाने में लगा है।
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मेरठ। दशहरा पर्व के मौके पर मेरठ में पिछले 100 वर्षों से गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिल रही है। मेरठ शहर में तैयार होने वाले रावण व कुंभकरण के पुतले मेरठ का एक मुस्लिम परिवार अपनी पांच पीढ़ियों से बनाता आ रहा है। दादा की विरासत को अब पोता बदस्तूर निभाने में लगा है।
80 साल पुराने कारोबार को यह परिवार आज भी आगे बढ़ा रहा
मेरठ का मोहम्मद यूनुस परिवार इन दिनों रावण का पुतला डिजाइन करने में जुटा हुआ है। 80 साल पुराने कारोबार को यह परिवार आज भी आगे बढ़ा रहा है। 60 साल के हो चुके यूनुस का लक्ष्य अपने पिता के व्यवसाय को संभालना है। उनके दादा ने इस कारोबार की नींव अविभाजित भारत में रखी थी। उसके बाद से यह परिवार रावण का पुतला निर्माण कारोबार से जुड़ गया।
मेरठ में इस परिवार को अब हर कोई जानने और पहचानने लगा है। करीब 43 साल पहले मोहम्मद यूनुस ने अपने पिता के साथ मिलकर मेरठ शहर में एक सदी से भी अधिक समय होने वाले रावण दहन कार्यक्रम के लिए पहली बार पुतले का निर्माण किया था। शहर के लोकप्रिय मैदान में हर साल आयोजित होने वाले रामलीला उत्सव के समापन के लिए ‘रावण’ का 60 फुट का पुतला उन्होंने बनाया था।
लगातार रावण का पुतला बनाने का कार्य आज भी जारी है। साथ ही मोहम्मद यूनुस ने बताया कि पहले के मुकाबले पुतला बनाने में खर्चा ज्यादा आने लगा है, जिस कारण आमदनी में मुनाफा अब कम हो रहा है।