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एक अनोखा मंदिर जहां होती है भगवान शिव के अंगूठे की पूजा,मान्यता है अंगूठे की वजह से ही टिके हुए हैं माउन्ट आबू के पहाड़

देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ हजारों लाखों मंदिर हैं. ज्यादातर में शिवलिंग और कुछ में मूर्तियां है. इनमें से कई के पीछे पौराणिक कहानी और धार्मिक मान्यताए जुड़ी हुई है. राजस्थान के सिरोही जिले में एक ऐसा ही दुर्लभ शिव मंदिर है जहां भोलेनाथ के अंगूठे की पूजा की जाती है. हम बात कर रहे हैं माउंट आबू के अचलगढ़ में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर की.

By Rajasthan Bureau@indiavoice.co.in 

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माउंट आबू, सिरोही

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जानकार हैरानी होगी लेकिन ये एकदम सच है कि राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू में भगवान शिव के छोटे से बड़े कुल 108 मंदिर हैं, बता दें, पुराणों में तो माउंट आबू को अर्द्ध काशी के नाम से भी जाना जाता है, स्कंद पुराण को देखा जाए तो काशी यानी वाराणसी शिव की नगरी है, तो माउंट आबू भगवान शिव की उपनगरी है. जैसा कि हमने बताया माउंट आबू में कई शिव मंदिर हैं, उसी में एक बड़ा ही दिलचस्प अचलेश्वर महादेव मंदिर है, जो अपनी एक खासियत की वजह से भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में फेमस है. इस मंदिर में भगवान शिव के अंगूठे की पूजा की जाती है. चलिए आपको इसके बारे में बताते है.

राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू से करीब 11 किमी दूर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर मौजूद अचलेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा दुर्लभ शिव मंदिर है जहां भोलेनाथ के अंगूठे की पूजा की जाती है. हम बात कर रहे हैं माउंट आबू के अचलगढ़ स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर की.इस मंदिर का इतिहास 5 हजार वर्ष पुराना बताया जाता है. माउंट आबू ऋषि वशिष्ठ की तपस्थली है. इस मंदिर के बारे में शिवपुराण और स्कंद पुराण के अर्बुद खंड में भी उल्लेख है.अंदर मुख्य मंदिर के अलावा कई छोटे मंदिर हैं. मुख्य मंदिर के सामने प्रवेश द्वार पर पंचधातु की नंदी की प्रतिमा है, जो करीब 4 टन वजनी है.अंदर मुख्य मंदिर के अलावा कई छोटे मंदिर हैं. मुख्य मंदिर के सामने प्रवेश द्वार पर पंचधातु की नंदी की प्रतिमा है, जो करीब 4 टन वजनी है. मुख्य मंदिर में एक शिलालेख लगा हुआ है.मान्यता तो यह भी है,कि इस मंदिर में मौजूद भगवान शिव के अंगूठे की वजह से ही माउंट आबू के पहाड़ टिके हुए हैं.

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