Booking.com

राज्य

  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. कल हैं अक्षय नवमी , जानें इस दिन आंवले की पूजा का क्‍यों है इतना महत्‍व

कल हैं अक्षय नवमी , जानें इस दिन आंवले की पूजा का क्‍यों है इतना महत्‍व

अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी को कहते हैं. इस दिन आंवले की पूजा का खास महत्‍व माना गया है. मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन आंवले में भगवान विष्‍णु का वास होता है और इस दिन इसकी पूजा करने से मां लक्ष्‍मी भी बहुत प्रसन्‍न होती हैं.

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी को कहते हैं. यह 2 नवंबर यानि कल मनाई जाएगी. इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है और आंवले की विशेष रूप से पूजा की जाती है और आंवले का सेवन करने से सेहतमंद रहने का वरदान प्राप्‍त होता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करके उसकी छांव में बैठकर भोजन करना बेहद लाभकारी माना गया है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, इसी दिन से द्वापर युग का का आरंभ हुआ था और भगवान कृष्‍ण ने कंस का वध भी इसी दिन किया था. आइए जानते हैं अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त और आंवले की पूजा का महत्‍व.

पढ़ें :- चंद्रग्रहणः शनिवार शाम 04 बजे के बाद से शुरू होगा सूतक काल, इस राशि के लोगों को होगी परेशानी

अक्षय नवमी को धार्मिक दृष्टि से बहुत ही खास माना गया है और मान्‍यता है कि इसी दिन भगवान कृष्‍ण ने गोकुल और वृंदावन की गलियों को छोड़कर मथुरा प्रस्‍थान किया था। इस दिन व्रत रखकर पूजा और दान पुण्‍य करने का विशेष महत्‍व माना गया है. इसी दिन वृंदावन में पंचकोसी परिक्रमा आरंभ होती है.

आंवले के पेड़ की पूजा क्‍यों की जाती है

पद्मपुराण की मान्‍यताओं के अनुसार आंवले को साक्षात श्रीहरि का स्‍वरूप माना गया है और आंवला नवमी पर आंवले की पूजा करने भगवान विष्णु भक्‍तों की सभी गलतियों को क्षमा करते हैं और मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर हमें सदैव सुखी और संपन्‍न रहने का आशीर्वाद देती हैं. आंवले के पेड़ में भगवान विष्‍णु समेत समस्‍त देवी और देवताओं का वास होता है. इस पेड़ की पूजा करने और उसके नीचे बैठकर भोजन करने से विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है. पद्म पुराण में यह भी बताया गया है कि आंवले की पूजा करने से गौ दान करने जैसा पुण्‍य प्राप्‍त होता है और मां लक्ष्‍मी भी प्रसन्‍न होती हैं.

अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त

पढ़ें :- यूपीः चंदौली में पुरानी रंजिश में धारदार हथियार से युवक की हत्या, सनसनी

अक्षय नवमी तिथि का आरंभ : 1 नवंबर 2022 को रात 11 बजकर 4 मिनट से

अक्षय नवमी तिथि का समापन : 2 नवंबर 2022 को रात 9 बजकर 9 मिनट पर होगा

अक्षय नवमी का व्रत 2 नवंबर को

अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस दिन आंवले की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. ऐसे में आवला नवमी यानी अक्षय नवमी को सुबह स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें. शुभ मुहूर्त में चंदन, हल्दी-कुमकुम से आंवले वृक्ष की पूजा करें. इसके बाद आंवले के पेड़ में गाय का कच्छा दूध अर्पित करें. इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें. साथ ही पेड़ के तने में 8 बार कच्चा सूत या मौली लपेटें. पूजन के बाद अक्षय नवमी पढ़ें या सुनें. इसके बाद आंवला पेड़ के नीचे ब्राह्मण भोजन कराएं. ब्राह्मण भोजन के बाद उन्हें कुछ दक्षिणा देकर आदरपूर्वक विदा करें.

पढ़ें :- OMG-2 के संदेश का समाज में दिख रहा असर, स्कूलों ने शुरू की सेक्स एजुकेशन
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com
Booking.com
Booking.com