शहर के ठा.हुकुम सिंह किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय के जेबी सिंह सभागार में गुरुवार को 1857वें स्वतंत्रता संग्राम के महानायकं चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह के 166वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने चहलारी नरेश बलभद्र सिंह की वीरता की कहानियां पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया।
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बहराइच। शहर के ठा.हुकुम सिंह किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय के जेबी सिंह सभागार में गुरुवार को 1857वें स्वतंत्रता संग्राम के महानायकं चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह के 166वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने चहलारी नरेश बलभद्र सिंह की वीरता की कहानियां पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख हुजूरपुर अजीत प्रताप सिंह रहे। जबकि अध्यक्षता ठा.हुकुम सिंह किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सचिव/प्रबन्धक डा.एसपी सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि महाराजा देवी बक्श सिंह गोण्डा के वंशज माधवराज सिंह रहे। संचालन कवि रईस सिद्दीकी ने किया।
मुख्य अतिथि अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि चहलारी नरेश का बलिदान हमारे लिए सदियों तक प्रेरणा स्रोत रहेगा। उन्होंने जिस बहादुरी के साथ बाराबंकी के ओबरी मैदान में अंग्रेजों की सेना के छक्के छुड़ाए थे, वह सदैव अविस्मरणीय रहेगा। अध्यक्षता कर रहे डा.एसपी सिंह ने कहा कि चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह ने 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन की जो अलख जगाई थी, वह अलख कभी ठंडी नहीं पड़ी। इसी की बदौलत आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं।
क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष डा.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में जब भी वीर योद्धाओं का नाम लिया जाएगा, उसमें चहलारी नरेश बलभद्र सिंह का नाम सदियों तक अमर रहेगा। उनकी वीरता की कहानी आज के युवा पीढ़ी को सदैव प्रेरणा देती रहेगी।
कार्यक्रम में पहुंचे कवि राम संवारे चातक, विमलेश जायसवाल, रईस सिददीकी, पुण्डरीक पाण्डेय, कवयित्री तमन्ना सहित अन्य कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से चहलारी नरेश की वीरता की कहानियां पढ़ी तथा कविताओं द्वारा भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम में चहलारी नरेश उत्तराधिकारी आदित्यभान सिंह ने भी अपनी कविता के माध्यम से चहलारी नरेश बलभद्र सिंह को नमन किया।