वायरल फीवर के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बुखार, गले में खराश, खाँसी, सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण आम हो गए हैं। अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है
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इन दिनों भारत के अलग-अलग हिस्सों से वायरल फीवर के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बुखार, गले में खराश, खाँसी, सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण आम हो गए हैं। अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव महसूस हो रहा है।
डॉक्टरों के अनुसार इस अचानक बढ़ोतरी के पीछे मौसम का बदलना एक बड़ी वजह है। दिन और रात के तापमान में अंतर, अचानक बारिश, और आर्द्रता का स्तर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। नतीजा यह कि वायरस आसानी से फैलते हैं और लोग बीमार पड़ जाते हैं।
स्कूलों और ऑफिसों में भी लोग इन लक्षणों के कारण छुट्टियाँ ले रहे हैं। खासतौर पर बच्चे और बुज़ुर्ग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञ लगातार अपील कर रहे हैं कि लोग भीड़-भाड़ वाली जगहों में सतर्क रहें और हल्के लक्षण दिखने पर तुरंत आराम करें।
सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।
भीड़ से बचना, बार-बार हाथ धोना, साफ-सुथरा खाना खाना और पानी उबालकर पीना ज़रूरी है। साथ ही, प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए मौसमी फल-सब्ज़ियाँ और हल्का, पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
यह भी देखा गया है कि कई लोग लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और देर से डॉक्टर के पास जाते हैं। इससे न केवल बीमारी बढ़ती है बल्कि आसपास के लोगों तक भी फैल सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है—“सर्दी-जुकाम और वायरल फीवर को हल्के में न लें। शुरुआती दिनों में ही सही इलाज और आराम करने से जल्दी ठीक हुआ जा सकता है।”
आज जब अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है, यह और भी ज़रूरी हो गया है कि लोग खुद जागरूक रहें और छोटी-सी सावधानी बरतकर इस स्थिति से सुरक्षित निकलें।