Jharkhand News : देश के अन्य राज्यों की तरह ही झारखंड में भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मीड डे मील प्रदान की जाती है। लेकिन सरकार के पास पैसा नहीं है जिसकी वजह से स्कूलों में उधार लेकर बच्चों को मिड डे मील दिया जा रहा है। जिससे आने वाले दिनों में बच्चों की ये सुविधा बंद हो सकती है।
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झारखंड, 19 जुलाई 2022। Jharkhand Mid-Day Meal Scheme : देश के अन्य राज्यों की तरह ही झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चोंं को मिड डे मील प्रदान की जाती है। जानकारी मिली है कि स्कूल प्रबंधन समिति व शिक्षक दुकानों से उधार लेकर बीते कई दिनों से बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन जल्द ही सरकार ने इस उधार को नहीं चुकाया तो राज्य के करीब 33 लाख बच्चों के निवाले पर सकंट पैदा हो सकता है।
झारखंड की हेमंत सरकार बीते दिनों कभी ईडी छापेमारी, तो कभी लीज माइनिंग केस के लिए चर्चा में बनी हुई है। वहीं हेमंत सरकार ने अपने राज्य में सरकारी स्कूलों के बच्चों को मिड डे मील में 5 दिन अंडा व फल देने का वायदा किया है और इसके लिए करीब 400 करोड़ का अतिरिक्त बजट भी पर तय किया गया है। लेकिन सच्चाई कुछ और ही तस्वीर बयान कर रही है। बच्चों को मिड डे मील देने के लिए स्कूलों के पास पैसे नहीं हैं। ऐसे में स्कूल प्रबंधन व शिक्षक उधार लेकर बच्चों को ये सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही सरकार से पैसे आने की राह देख रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने फंड उपलब्ध नहीं कराया तो दुकानदार राशन देना बंद कर देंगे और ऐसी स्थिति में मिड-डे मील वितरण बंद हो सकता है।
वहींं इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने स्कूलों की खाली पड़ी जमीनों पर खेती करने की योजना बनाई है। इसके लिए जमीनों को चिंंहित करने का काम भी शुरु हो गया है। लेकिन इसको पूर्ण होने में काफी समय लगेगा। तब तक राज्य के करीब 33 लाख बच्चों के निवाले पर संकट मंडरा रहा है।
केंद्र से नहीं मिली राशि
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि स्कूलों में मिड डे मील अनिवार्य रुप से वितरीत किया जाय। इस योजना पर 60 फीसदी खर्च सरकार व 40 फीसदी खर्च प्रदेश सरकार करती है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से मिड डे मील का बजट नहीं भेजा गया, जिसकी वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है।