झारखंड में ई॰डी॰ एक और बड़ी गिरफ़्तारी कर सकती है। सत्ता से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों के हुए WhatsApp कॉल के audio के द्वारा ई॰डी॰ झारखंड के लूट के मुख्य सरग़ना का पता कर वहाँ तक पहुँचना चाहती है , भाजपा हेमंत सोरेन को सत्ता से अपदस्थ करना चाहती है तो दूसरी ओर हेमंत सोरेन अपने सत्ता को बचाए रखना चाहते है। झारखंड का यह राजनीतिक महाभारत निर्णायक मोर पर।
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Jharkhand political Crisis : झारखंड में हाल के घटनाक्रम यहाँ की राजनीति के बारें में महत्वपूर्ण संकेत दे रही है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी प्रधानमंत्री के झारखंड दौरे के बाद तीन बार दिल्ली दौरा कर चुके है, भाजपा के केंद्रीय नेताओं के साथ उनका लगातार संपर्क कई प्रकार के राजनीतिक अटकलों को जन्म दे रहा है। गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे का झामुमो के विक्षुब्ध नेताओं जैसे लोबिन हेम्बरम के समर्थन में खुल के सामने आना तथा स्वर्गीय दुर्गा सोरेन, निर्मल महतो एवं सुनील महतो के जाँच के मुद्दे को फिर से उठाना तथा हाल में उनके द्वारा यह बयान दिया जाना की लोबिन हेम्बरम के बेटे को ग़लत तरीक़े से फँसाकर हेमन्त सोरेन ने जेल भेजवा दिया है, एक व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है। इसके अलावा ई॰डी॰ ने अपनी दबिश को बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि Pankaj Mishra को गिरफ़्तार कर लिया है, ई॰डी॰ के सूत्रों से छनकर जो बातें सामने आ रही है उसके अनुसार ई॰डी॰ के जाँच का दायरा खनन विभाग से निकलकर वन विभाग होते हुए पथ निर्माण विभाग एवं सिंचाई विभाग जैसे ठेके वाले विभागों की ओर बढ़ रहा है। टेंडर को मैनेज कर की गयी अवैध कमाई पर अब प्रवर्तन निर्देशालय की नज़र है। ई॰डी॰ के इन गतिविधियों से मानो नौकरशाहों को लकवा मार गया है तथा नौकरशाही पूर्ण रूप से बैकफ़ुट पर है।
झारखंड निर्माण के आंदोलनकारी मेरे ज़िले गोड्डा के झामुमो विधायक लोबिन हेम्बरम जी के बेटे को ग़लत तरीक़े से झारखंड सरकार ने जेल में बंद किया है ।राजनीति से अलग हटकर मैं उनके साथ खड़ा हूँ ।
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) July 26, 2022
राजनीतिक मोर्चे पर घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहा है, कोंग्रेस के 10 विधायकों का लगातर भाजपा के नेतृत्व से सम्पर्क में होने की बात सामने आ रही है, लेकिन अपने चतुर राजनीतिक चाल के तहत झमूमो के 21 विधायकों के भाजपा के सम्पर्क में होने का दावा किया जा रहा है। झमूमो के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्या का यह दावा भी की भाजपा के 16 विधायक झमूमो के संपर्क में है, इससे इतना तो स्पष्ट है की हेमन्त सोरेन परिस्थिति की नाजुकता से अवगत है तथा भाजपा के मनोवैज्ञानिक हमले को अपनी तरफ़ से भी करारा जवाब दे रहें है। दो दिन पहले झामुमो की कुछ ज़िला इकाइयों द्वारा ट्विटर हैंडल में ‘हेमन्त नहीं तो कौन ? ‘ का लोगो लगाया जाना इस मनोवैज्ञानिक संघर्ष का हिस्सा है।
ऐसे तो झारखंड में सरकार की अस्थिरता की बात 2020 सरकार गठन के बाद से ही हो रही है लेकिन मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के हाल के दिनों की गतिविधियां यह आभास कराती है कि इस बार सरकार को ख़तरा वास्तविक है। Hemant Soren लगातार अपने घोषणापत्र के बड़े वायदे को लागू करने की दिशा में तेज़ी से कार्यवाही कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि बिना किसी स्पष्ट रूपरेखा के पेन्शन योजना को लागू करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास करा दिया गया है। मुख्यमंत्री का सर्वजन पेन्शन योजना ख़ासा लोकप्रिय हो रहा है। हाल ही में एक महीने में एक किलो दाल देने की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई है हालाँकि खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश उराँव ने स्पष्ट किया है कि इस योजना को धरातल में उतारने में 1 महीने का समय लगेगा। हाल में ही Hemant Soren द्वारा दिल्ली में झारखंड पर्यटन नीति 2021 की घोषणा कर राज्य के बाहर यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि झारखंड में सब कुछ ठीकठाक है। इसके आलावा Hemant soren लगातार झारखंड के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण कर रहे हैं। गरीबों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण कर रहे हैं। ऋण वितरण शिविरों का आयोजन कर रहे हैं। वे लगातार जनता से संवाद कर उन्हें यह बता रहे हैं कि हमारी सरकार गरीबों के लिए काफ़ी काम कर रही है तथा मेरे कामों से विचलित होकर BJP हमारे सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र रच रही है। लेकिन इतना स्पष्ट है की Hemant soren की बड़ी घोषणाएँ तथा लगातार जनसम्पर्क अभियान इन अटकलों को जन्म दे रहा है की Hemant soren यह मान रहे हैं कि उनकी सरकार ख़तरे में है। उनके इन प्रयासों को राजनीतिक प्रेक्षक सरकार जाने की स्थिति में गरीबों, आदिवासियों एवं वंचितों को अपनी पार्टी के पक्ष में गोलबंद करने की राजनीतिक पहल के रूप में देख रहे हैं।
केंद्रीय एजेंसियों की दबिश, बीजेपी का हमला तथा हेमन्त के जवाब के त्रिकोण से होकर झारखंड की राजनीति अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गई है। आने वाले दिनों में प्रवर्तन निर्देशालय द्वारा एक और बड़ी गिरफ़्तारी की प्रबल संभावना है। ई॰डी॰ की यह कार्रवाई BJP को और भी हमलावर बनायेगी तथा झामुमो कोंग्रेस गठबंधन में बिखराव को और भी गहरा करेगी। इन तीनों गतिविधियों के कारण झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता तथा नौकरशाही की निष्क्रियता चरम पे होगी। झारखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र 29 अगस्त से प्रारंभ हो रहा है जो की लगभग एक सप्ताह चलेगा। देखना यह है की विधानसभा सत्र के दौरान ही कोई बड़ा खेल होता है या फिर स्वतंत्रता दिवस तक यह खेल खींचा जाता है। लेकिन अब इतना तय है कि झारखंड बड़े राजनीतिक परिवर्तन के मुक़ाम पर खड़ा है और Hemant soren एक बहादुर राजनेता के रूप में अभिमन्यु की तरह इस राजनीतिक चक्रव्यूह से निकलने का हर सम्भव प्रयास कर रहें हैं। उन्हें यह बात समझना पड़ेगा कि रावण के पराजय में श्री राम से ज़्यादा विभीषण का योगदान था। इन विभीषणों को सफलतापूर्वक साधने की कौशलता ही यह तय करेगी कि आने वाले दिनों में झारखंड में भाजपा राज़ करेगी या झमूमो।