JSSC नियमावली संशोधन मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को यह मामला असंवैधानिक प्रतीत हुआ। लेकिन इस मामले पर कोर्ट ने राज्य सरकार को एफिडेविट जमा करने के लिए दस दिनों का समय दिया है।
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Ranchi: JSSC संशोधित नियमावली मामले में दायर याचिका की सुनवाई झारखंड के हाईकोर्ट में हुई। इस दौरान अदालत ने कहा कि संशोधन अंसवैधानिक प्रतीत हो रहा है। फिलहाल अदालत ने राज्य सरकार से इस बाबत एफिडेविट जमा करने की बात कही है। जिस पर राज्य सरकार ने दस दिनों का समय मांगा था। राज्य सरकार की मांग पर हाईकोर्ट ने उन्हें निर्धारित समय पर एफिडेविट जमा करने का अंतिम मौका दिया है।
जेएससी मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि रजंन और जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच में हुई। याचिकाकार्ता रमेश हांसदा की ओर से अदालत में दायर याचिका में राज्य सरकार द्वारा जेएसएससी नियमावली में किए गए संशोधन को गलत बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की है। जिस पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को काउंटर एफिडेविट जमा करने के लिए दस दिनों का समय दिया गया है।
JSSC संशोधित नियमावली मामला क्या है?
प्रार्थी रमेश हांसदा ने जेएसएससी की संशोधित नियमावली को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इस याचिका के अनुसार कहा गया है कि सरकार ने नई नियमावली में केवल राज्य से 10वीं व 12वीं पास करने वाले छात्रों को ही परीक्षा में शामिल का निर्णय लिया है। यह संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का हनन है। राज्य के जो छात्र अन्य राज्यों से पढ़कर आए हैं उन्हें परीक्षा से रोकना गलत है। इसके अलावा नई नियमावली में संशोधन करते हुए हिंदी व अंग्रेजी को क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हटा दिया गया है। जबकि उर्दू, उड़िया और बांग्ला को इसका हिस्सा बनाया गया है।
दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए उर्दू भाषा को जनजातिय भाषा की श्रेणी में रखा है। राज्य के सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम में ही पढ़ाई कराई जाती है। जबकि उर्दू एक खास वर्ग में ही पढ़ाई जाती है। सरकारी नौकरी में किसी खास वर्ग को अधिक अवसर प्रदान करते हुए हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के अवसरों में कटौती करना संविधान के अनुरूप नहीं है। इस वजह से दोनों ही नए प्रावधानों को निरस्त करने की मांग की गई है।
8 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन एवं जस्टिस सुजीत नारायण ने सरकार से इस संशोधन पर एफिडेविट जमा करने की बात कही है। फिलहाल कोर्ट ने राज्य सरकार को दस दिनों का समय दिया गया है। जिसके बाद 8 फरवरी को अगली सुनवाई की जाएगी।