सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बुधवार को भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा था कि उनके पास जस्टिस यूयू ललित के उत्तराधिकारी के रूप में बहुत बड़ी चुनौतियां हैं और उम्मीद है कि वे इन चुनौतियां का सामना कर सकेंगे.
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ आज भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा था कि उनके पास जस्टिस यूयू ललित के उत्तराधिकारी के रूप में बहुत बड़ी चुनौतियां हैं और उम्मीद है कि वे इन चुनौतियां का सामना कर सकेंगे. वर्तमान सीजेआई यूयू ललित का कार्यकाल 74 दिनों का था जो कि 8 नवंबर को पूरा हो गया. अब जस्टिस चंद्रचूड़ का CJI के रूप में कार्यकाल दो साल का होगा ओर वे 10 नवंबर 2024 को रिटायर होंगे. इस समय के बीच उन्हें देश के कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा.
डीवाई चंद्रचूड़ पहले ऐसे मुख्य न्यायाधीश होंगे जिनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी सीजेआई रहे हैं. न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार पिता- पुत्र की जोड़ी होगी जो देश के मुख्य न्यायाधीश रहे होंगे. इतना ही नहीं डीवाई चंद्रचूड़ ने दो बार अपने पिता जस्टिस वीवाई चंद्रचूड़ के फैसलों को भी पलटा हैं.
28 अप्रैल, 1976 को, जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ पांच- जजों के संविधान पीठ का हिस्सा थे. उन्होंने 4:1 बहुमत से फैसला सुनाया था कि आपातकाल के दौरान सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं और व्यक्तियों को सुरक्षा के लिए संवैधानिक अदालतों से संपर्क करने का अधिकार नहीं है.
इसके 41 साल बाद, उनके बेटे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसले को खारिज करते हुए कहा कि एडीएम जबलपुर में बहुमत बनाने वाले सभी चार जजों द्वारा दिए गए फैसले गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण हैं. एडीएम जबलपुर के फैसले द्वारा पैदा की गई अधिकांश समस्याओं को 44 वें संविधान संशोधन द्वारा ठीक कर दिया गया था.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम अनगिनत ऐतिहासिक फैसले हैं. हाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक ऐतिहासिक फैसले दिए, जिसमें महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया. महिला अधिकारों को लेकर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सेना व नेवी में परमानेंट कमीशन जैसे फैसले सुनाए.