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देश में पहले भी हो चुके हैं कई बड़े रोपवे हादसे, हर जगह सेना ने संभाला रेस्क्यू ऑपरेशन

झारखंड देवघर में हुए रोपवे हादसे से पूरा देश सिहर चुका है। आपको बता दें कि ये कोई पहला हादसा नहीं है देश में ऐसे कई हादसे पहले भी हो चुके हैं।

By Vikas Arya 

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नई दिल्ली, (विकास आर्य) झारखंड के देवघर में रविवार हुए रोपवे हादसे से पूरा देश सिहर गया। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। बचाव के लिए सेना को 45 घंटों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। त्रिकुट पर्वत की 25000 फीट ऊंची पहाड़ियों पर फंसे लोगों को निकालना मुश्किल कार्य था, इसलिए सेना की मदद ली गई। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए स्थानीय प्रशासन ने आर्मी, एयरफोर्स, NDRF, ITBP की मदद मांगी। मोर्चा संभालने वाले सेना के जवानों ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 46 लोगों की जान बचाई। लेकिन आज हम आपको देश में हुए कुछ बड़े रोपवे (केबल कार) हादसे के बारे में बताने जा रहें हैं।

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कैसे काम करता है रोप-वे सिस्टम?

रोप वे सिस्टम दो पहाड़ियों के बीच आने-जाने के लिए हवा में रास्ता बनाया जाता है। इस केबल मार्ग से लोगों को दुर्गम पहाड़ी की चढ़ाई करने में मदद मिलती है और घंटों की चढ़ाई लोग मिनटों में तय कर लेते हैं। इसे दो पहाड़ियों के बीच लगाया जाता है, ऊपर की पहाड़ियों में बने स्टेशन को अपर स्टेशन, जबकि नीचे वाले स्टेशन को डाउन स्टेशन कहा जाता है। इन दोनों स्टेशन के बीच मजबूत केबल्स का रास्ता बनाया जाता है। बीच रास्ते में केबल्स को सपोर्ट देने के लिए पिलर बनाए जाते हैं।

इन केबल्स पर ट्रॉलियों को लटकाया जाता है, जब स्टेशन पर लगे ड्राइविंग व्हील घूमते हैं तो ट्रॉलियां मूव करते हुए एक जगह से दूसरी जगह पहुंचती हैं।

देश में रोप-वे से जुड़े 4 बड़े हादसे 

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1992 में हिमाचल प्रदेश के परवाणू में हादसा

हिमाचल प्रदेश में 1992 में परवाणू क्षेत्र के टिंबर ट्रेल से टिम्बर हाइट्स के बीच चलने वाली केबल कार में एक बड़ा हादसा हुआ था। ये घटना 13 अक्टूबर की है, इस दौरान केबल कार में 11 लोग सवार थे। जब केबल कार डाउन स्टेशन के पास पहुंचने वाली थी, तभी इसकी तीन केबल में से दो केबल टूट गई। इसके बाद ट्रॉली पीछे की ओर फिसलने लगी और करीब एक मील तक पीछे जाकर 4620 फुट की ऊंचाई पर अटक गई।

हादसे के समय जब कार फिसलना शुरू हुई तो केबल कार के ऑपरेटर के साथ एक पैसेंजर ने छलांग लगा दी। इसके बाद एयरफोर्स व सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। तमाम मुश्किलों के बाद सेना के जवानों ने कड़ी मशक्कत के बाद बचे सभी यात्रियों को रेस्क्यू कर लिया।

2003 में गुजरात के पंचमहल का रोपवे हादसा

गुजरात के पंचमहल जनपद में वर्ष 2003 में रोप-वे का एक बड़ा हादसा हुआ था। इस हादसे में महाकाली मंदिर जा रहे करीब 67 यात्री दुर्घटना का शिकार हो गए। इस दुर्घटना में तीन कार नीचे गिर गई, जिससे करीब 7 लोगों की मौत हो गई और 20 लोगों घायल हो गए थे। इस हादसे में भी सेना व एयरफोर्स की मदद ली गई थी। सेना ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 60 लोगों को बचाया था।

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2003 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुआ रोपवे हादसा

वर्ष 2003 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में भी बड़ा रोपवे हादसा हुआ था। ये हादसा सिंगामेरी से तुकवेर के बीच चलने वाली रोप-वे में हुआ था। इस दुर्घटना में दो ट्रॉलियां केबल से फिसलकर 100 मीटर नीचे गिर गई थी, जिससे चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जानकारी के मुताबिक इस हादसे में 11 पर्यटक घायल हो गए थे और ये हादसा दूसरे व तीसरे खंबे की केबल टूटने की वजह से हुआ था।

हादसे की जानकारी मिलते ही सेना और एयरफोर्स की टीम मौके पर पहुंची। रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चलाया गया और पहले व दूसरे खंबे के बीच लटकी दो ट्रलियों से करीब 10 लोगों को बचाया लिया गया।

2017 में जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में हुआ हादसा

वर्ष 2017 में जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में भी रोप वे हादसा हुआ था। इस हादसे में केबल टूटने की वजह से ट्रॉली नीचे गिर गई थी। गुलमर्ग दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा रोप वे है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 13780 फीट है।

इस दुर्घटना में दिल्ली के चार पर्यटकों के साथ तीन स्थानीय गाइडों की भी मौत हो गई थी। जानकारी के मुताबिक पहाड़ों पर तेज हवाओं के चलते एक पेड़ अचानक रोपवे की केबल पर जा गिरा, जिससे केबल टूट गई और उस केबल की ट्रॉली नीचे जा गिरी।

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