चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की परियोजनाओं के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना।
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इस्लामाबाद, 21 जुलाई। चीन और पाकिस्तान की सदाबहार दोस्ती के बावजूद अब चीन के खिलाफ पाकिस्तान में आंदोलन के नए दौर का ऐलान हो चुका है। इससे सरकार की मुसीबत और बढ़ गई है। पाकिस्तान के ग्वादार इलाके में चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) की परियोजनाओं के विरोध में गुरुवार से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।
CPEC के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना
इस आंदोलन का ऐलान स्थानीय जन संगठन ‘ग्वादार को हक दो तहरीक’ ने किया है। तहरीक के नेता मौलाना हिदायत उर रहमान की घोषणा के तहत गुरुवार से धरना शुरू हो गया। बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अनिश्चितकाल तक धरने की बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि शहबाज शरीफ सरकार गहरे समुद्र में मछली मारने वाली मशीनी नौकाओं पर रोक लगाने में नाकाम रही है।
आंदोलन-आतंकवादी हमलों के कारण परियोजनाओं की रफ्तार धीमी
रहमान ने मांग की है कि सरकार गहरे समुद्र में मछली मारने पर पूरी तरह रोक लगाए और सीमा के आरपार कारोबार की छूट दें, ताकि स्थानीय लोग अपनी रोजी-रोटी चला सकें। रहमान ने चेतावनी दी कि अगर उनके संगठन की मांगों को नहीं माना गया, तो ग्वादार बंदरगाह के निर्माण कार्य को ठप कर दिया जाएगा। इस आंदोलन से पाकिस्तान सरकार की इस इलाके में चीनी परियोजनाओं को निर्बाध रूप से आगे बढ़ाने की मंशा को धक्का लग सकता है। आंदोलन और आतंकवादी हमलों के कारण इन परियोजनाओं पर काम की रफ्तार पहले ही धीमी हो चुकी है। इन परियोजनाओं के विरोधी संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने में नाकाम रही है। इस पूरे समुद्री क्षेत्र में मशीनी नौकाओं से गैर कानूनी रूप से मछली मारने का धंधा बेरोकटोक चल रहा है।
इससे स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर खराब असर पड़ा है। आरोप है कि परियोजनाओं के कारण इस इलाके का पानी और वातावरण भी खराब हुए हैं। जानकारों का कहना है कि अगर आंदोलन लंबा खिंचने पर बंदरगाह की गतिविधियां बाधित हो सकती हैं। इस बंदरगाह के निर्माण के लिए चीन ने अरबों डॉलर का निवेश किया है।