ये तस्वीरें हैं बागेश्वर के रण की.. जहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी प्रत्याशी पार्वती दास भावुक हो गईं.. और रोने लगीं। और फिर सीएम ने हौसला दिया ।उनके आंसूओं को पोछा यानि जिस कैबिनेट मंत्री के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सीएम जनसभाओं को संबोधित करते थे।
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देहरादून। ये तस्वीरें हैं बागेश्वर के रण की.. जहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी प्रत्याशी पार्वती दास भावुक हो गईं.. और रोने लगीं। और फिर सीएम ने हौसला दिया ।उनके आंसूओं को पोछा यानि जिस कैबिनेट मंत्री के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सीएम जनसभाओं को संबोधित करते थे।
आज उन्हीं के जाने के बाद उनकी जीवन संगनी को रण में जीतने के लिए खुद मुख्यंमत्री उनके साथ खड़े हैं तभी तो जब आंखों से आंसूओं ने झलकना शुरू किया तो सीएम ने खुद उनको चुप करवाया। उनके आंसू पोछने के लिए रुमाल दिया और उनको सीट पर बैठाया। और फिर रौद्ररूप धारण किए। आरोपों की बाणों के सियासी आसमान का ढके चुनावी रण का माहौल गमगीन हो गया। पार्वती दास के आंसूओं ने सभी को भावुक कर दिया। और देखते ही देखते पूरा बागेश्वर पार्वती दास के आंसूओं से भीग गया।
अब मंगलवार को जनता को मतदान करना है। सुबह 7 बजे से मतदान शुरू होगा। जिसको लेकर जनता भी तैयार है। और अब कोशिश सियासी दलों की मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा पोलिंग बूथ पर पहुंचने की होगी। ताकि उनके प्रत्याशी चुनाव मैदान में जीत हासिल कर सके। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल राष्ट्रीय दल है।. और दोनों के बीच ही इस उपचुनाव में मुख्य मुकाबला देखने को मिल रहा है।
ये उपचुनाव राज्य में सत्तासीन भाजपा सरकार के लिए भी साख का सवाल है.. क्योंकि बीजेपी इस चुनाव को जीत कर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी चुनावी तैयारी पुख्ता करना चाहती है। लेकिन इससे पहले आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। कांग्रेस की माने तो बीजेपी की तरफ से इस उपचुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया है। विपक्ष के नेताओं को परेशान किया गया है।
लेकिन बागेश्वर की जनता सब जानती है। और सरकार की जन विरोधी नीतियों पर मतदान का विपक्ष को मजबूत करना चाहती है।. तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी का दावा है कि जनता धामी सरकार के किए कामों से खुश है। और चुनाव में उनका विजय पताखा लहराएगा। ऐसे में अब देखने वाली बात ये होगी कि पार्वती दास ये आंसू क्या जनता के दिन में भावुकता का बवंडर लाकर बीजेपी को विजयी बनाती है। या नहीं.. ये तो अब आने वाला वक्त ही बताएगा। मगर इतना जरूर है कि बागेश्वर का चुनाव अब इमोश्नल जरूर हो गया है