श्रीरामलला के प्रधान अर्चक सत्येंद्र दास शास्त्री बताते हैं कि भगवान श्रीरामलला को ठंड से बचाने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है. भगवान श्रीराम बाल रूप में रामजन्मभूमि में विराजमान हैं. ठंड से बचने के लिए रामलला को गर्मी देने वाले व्यंजनों का भोग लगाया जाता है.
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बढ़ती ठंड और मौसम के मिजाज के साथ-साथ जन-जन के आराध्य रामलला की सेवा में भी बदलाव हुआ है.बालक स्वरूप रामलला के दरबार में रजाई कंबल के साथ ब्लोअर लगाया गया है. इसके अलावा, भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं औऱ सुबह के समय भगवान का गर्म पानी से स्नान कराया जाता है. वहीं, भगवान रामलला को उन्हीं स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया जा रहा है, जिससे रामलला को ठंड ना लगे.
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि रामलला के दरबार में ठंड से बचने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं.कि रामलला को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो. ठंड से बचने के लिए रामलला को गर्मी देने वाले व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, जिसमें तस्मी, हलवा-पूरी रामलला भोग लगता है. राम लला बालक रूप में है जिस प्रकार से एक माता अपने बालक की व्यवस्था करती है, ठीक उसी प्रकार रामलला की व्यवस्था की जाती है.
रामलला के भोग, श्रृंगार व आरती में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है. प्रात:काल स्नान, भोजन व जलपान के लिए भगवान को गर्म पानी की सुविधा दी जा रही है. फूलों की जगह देशी घी की बत्ती से आरती की जा रही है. भगवान को भोग में गर्म पदार्थ दिए जा रहे हैं. चंदन में केसर मिलाकर तिलक किया जा रहा है. रामलला को बादाम, काजू, पिस्ता और किशमिश आदि का भोग निवेदित किया जा रहा है. खीर में केसर की मात्रा बढ़ा दी गई है. इसके अलावा उन्हें ऊनी, मखमली कपड़े पहनाए जा रहे हैं.