फिल्म ‘आदिपुरुष’ के विरोध में काशी का संत समाज भी उतर गया है। संत समाज ने लोगों से फिल्म न देखने की अपील की है। कहा कि फिल्म देखना सनातन के खिलाफ है।
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वाराणसी। फिल्म ‘आदिपुरुष’ के विरोध में काशी का संत समाज भी उतर गया है। संत समाज ने लोगों से फिल्म न देखने की अपील की है। कहा कि फिल्म देखना सनातन के खिलाफ है।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि आदिपुरुष फिल्म के डायलॉग लेखन जिस तरह से हुए हैं, वह संतों को रास नहीं आ रहा है। उन्होंने इसके डायलॉग लेखक मनोज मुंतशिर पर भी निशाना साधा।
सनातन धर्म में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ अक्षम्य अपराध
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में तथ्यों के साथ छेड़छाड़, महापुरुषों व परमात्मा का सरलीकरण करना अक्षम्य अपराध है। मर्यादाविहीन पटकथा लेखक और निर्देशक ऐसे कभी स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सनातनधर्मियों को ‘आदिपुरुष’ फिल्म न देखने के लिए धर्मादेश जारी किया है। केदार घाट स्थित श्रीविद्यामठ में एक वक्तव्य जारी कर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि देखने व सुनने से भी व्यक्ति पुण्य व पाप का भागी बनता है।
फिल्म देखकर पाप का भागी न बनेंः स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
उन्होंने कहा कि देव, गुरु व तीर्थ दर्शन से मनुष्य पुण्य का भागी बनता है। वहीं अधर्म, अश्लीलता आदि देखने से मनुष्य पाप का भागी बनता है। उसी प्रकार सुनने व बोलने से भी मनुष्य पुण्य व पाप का भागी बनता है। इसलिए पैसे से टिकट खरीद कर कोई भी व्यक्ति इस फिल्म को देखकर पाप का भागी न बने।
कहा कि आदिपुरुष फिल्म में पौराणिक व धार्मिक मूल्यों का उपहास उड़ाया गया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि फिल्म के पात्रों का वस्त्र व उनका संवाद अत्यंत स्तरहीन है। जहां रामचरित मानस सदैव से धर्म व मर्यादा की शिक्षा देकर हमें आदर्श जीवन जीने हेतु प्रेरित करता हैं।
वहीं इस फिल्म में पौराणिक परंपरा व संस्कृति का मखौल उड़ाने के साथ ही अमर्यादित ढंग से भगवान राम, माता सीता, हनुमान जी सहित अन्य पात्रों का चरित्र चित्रण किया गया है। सिनेमा के जरिए सनातन धर्म एवं संस्कृति पर गहरा आघात पहुंचाने का प्रयास निरंतर जारी है। वह किसी भी प्रकार से सहनीय नहीं है।