वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवासंघ के भवन को प्रशासन ने शनिवार को जमींदोज कर दिया। यह भवन गांधी-जेपी की विरासत के नाम से मशहूर था। ध्वस्तीकरण का लोगों ने विरोध भी किया।
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वाराणसी। वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवासंघ के भवन को प्रशासन ने शनिवार को जमींदोज कर दिया। यह भवन गांधी-जेपी की विरासत के नाम से मशहूर था। ध्वस्तीकरण का लोगों ने विरोध भी किया।
मौके पर पहुंचकर सेवा संघ के संयोजक रामधीरज ने भी विरोध जताया। कार्रवाई से आक्रोशित गांधीवादी सड़क पर लेट गए। इसके बाद प्रशासन ने सभी को हिरासत में ले लिया। परिसर में एक डाकघर भी है। इसे गिराने के लिए रविवार तक की मोहलत दी गई है।
आज उसका सामान शिफ्ट किया जा रहा है। उत्तर रेलवे के अधिकारियों, जिला प्रशासन, आरपीएफ-पुलिस फोर्स की मौजूदगी में परिसर स्थित गांधी विद्या संस्थान और सर्वसेवा प्रकाशन को भवनों पर बुलडोजर चला।
हाल ही जिला प्रशासन और रेलवे ने सर्वसेवा संघ भवन और परिसर को कब्जा मुक्त कराया था। तभी से इस बात की संभावना थी कि बुलडोजर किसी भी दिन चल सकता है। सर्व सेवासंघ के पास राजघाट पर 8.07 एकड़ जमीन है। बड़ा भवन है। इसमें करीब 50 आवास बने हैं। चार संग्रहालय भी हैं।
जिलाधिकारी कोर्ट ने संघ की जमीन पर मालिकाना हक का दावा कर दिया था खारिज
संघ की जमीन पर मालिकाना हक का दावा जिलाधिकारी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। तभी रेलवे प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने और भवन ध्वस्त करने का नोटिस चस्पा कर दिया था।
इसके विरोध में गांधीवादी प्रदर्शन कर रहे थे। देश की शीर्ष अदालत तक मामला पहुंचा, लेकिन वहां से सर्व सेवासंघ कार्यकर्ताओं को राहत नहीं मिली। शनिवार सुबह छह बुलडोजर और भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे प्रशासनिक व रेलवे के अधिकारियों ने भवन ध्वस्त कराया।
सर्व सेवासंघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक का विवाद चल रहा था। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की कोर्ट को जल्द फैसले लेने का आदेश दिया। जिलाधिकारी कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और उत्तर रेलवे के हक में फैसला दिया।
संघ ने जिलाधिकारी के आदेश को पहले हाईकोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन निराशा हाथ लगी। राहत की याचिकाएं खारिज हो गईं। इसके बाद बुलडोजर की मदद से जमीन व भवन खाली कराने की चर्चा शुरू हो गई थी।