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माइनिंग लीज मामले में बुरे फंसे हेमंत सोरेन! केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट

राज्यपाल ने माइनिंग लीज मामले में झारखंड के मुख्य सचिव को किया तलब, कहा केंद्र को जवाब देने में क्यों हो रही है देरी।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने अचानक राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह राजभवन मे तलब किया। राजभवन में राज्य के मुख्य सचिव से सीएम के अनगड़ा में पत्थर माइनिंग लीज के मामले की पूरी जानकारी ली गई। इसके साथ ही राज्यपाल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा माइनिंग लीज की मांगी गई जानकारियों के विषय में भी चर्चा की। जबकि सूत्रों का कहना है कि इस विषय पर राज्य के मुख्य सचिव ने कहा कि उनके पास केंद्र से ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है। अगर केंद्र से जानकारी मांगी जाएगी, तो सरकार उसे प्रदान करेगी।

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इस बैठक में मुख्य सचिव ने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट ने इसी मामले की जानकारी मांगी है। माइनिंग से जुड़ी सभी जानकारी सरकार व सीएम द्वारा कोर्ट को करीब एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध करा दी जाएगी। फिलहाल आवंटित माइनिंग लीज को सीएम हेमंत सोरेन ने सरेंडर कर दिया है।

भाजपा नेता ने सीएम पर लगाया था माइनिंग लीज का आरोप

झारखंड के पूर्व सीएम और भाजपा नेता रघुवर दास ने फरवरी माह में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम हेमंत सोरेन पर आरोप लगाते हुए माइनिंग लीज के मामले को उजागर किया था। उन्होंने बताया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने रांची जिले के अनगड़ा मौजा में खनन की स्वीकृति ली। इसके बाद जिले के खनन विभाग से इस माइनिंग लीज को जुलाई 2021 में स्वीकृती दी। खनन विभाग से स्वीकृती के बाद इस माइनिंग आवेदन के दस्तावेज सिया (स्टेट लेबल इन्वायर्नमेंट इंपेक्ट अससेमेंट ऑथिरिटी) को भेजे गए। इन दस्तावेजों पर 15-18 सितंबर को अनुशंसा की गई।

इस मामले को उजागर करने के लिए शिव शंकर ने हाईकोर्ट में फरवरी माह में एक याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने झारखंड सीएम से खनन पट्टे पर नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा कि सीएम हेमंत सोरेन ने खनन मंत्रालय व पर्यावरण विभाग भी खुद के ही अधिकार में रखे हैं। इससे उन्हें माइनिंग लीज लेने में कोई परेशानी नहीं होती है। साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा कर सीएम सोरेन अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और उन पर सीबीआई जांच होनी चाहिए।

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गृह मंत्रालय को भेजी गई एसीबी की जांच रिपोर्ट 

एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने बीते दिनों भ्रष्टाचार के आरोप में कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। इस बाबत राज्यपाल ने राज्य सरकार से एसीबी के द्वारा केस झेल रहे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले पर सरकार ने पूरी रिपोर्ट तो नहीं भेजी, लेकिन फिर भी राज्यपाल ने अन्य स्त्रोतों से मिली जानकारी को आधार बनाते हुए करीब 11 अधिकारियों की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंंत्रालय को भेज दी है।

एडीसी के पैनल के भेजे अधिकारियों के नामों की लिस्ट को लौटाया

राज्यपाल रमेश बैस ने एडीसी के लिए भेजे गए आईपीएस अधिकारियों के नाम पैनल को वापस कर दिये गये हैं। मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक में उन्हें दोबारा से नया पैनल भेजने को कहा गया है। एडीसी के लिए सरकार ने आईपीएस संजय रंजन सिंह, किशोर कौशल व कार्तिक एस के नाम भेजे थे। राज्य सरकार ने एडीसी अमन कुमार के स्थान पर 5 अप्रैल को एसपी गोड्डा वाई एस रमेश को एडीसी बनाया गया था।

भाजपा नेता व पूर्व सीएम बाबूलाल मरांड़ी ने साधा हेमंत सोरेन पर निशाना

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इस मामले पर बोलते हुए भाजपा के नेता व पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए कहा कि “जब कोई चोर की चोरी पकड़ी जाए तो वो ये कहे कि सारा सामान वापस कर रहा हूँ, मुझे माफ़ कर दो तो इससे हास्यास्पद और क्या होगा? समाचारों से पता चल रहा है कि झारखंड के वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन जी के खनन पट्टा के मामले में मुख्य सचिव के माध्यम से राज्य के महामहिम रमेश बैस को बताया गया सीएम जो खुद खान मंत्री भी हैं, ने पद का दुरुपयोग कर खुद के नाम लिया पत्थर माइंस लीज़ फरवरी 2022 में सरेंडर कर दिया गया। वह भी तब जब उनके द्वारा किया गये इस घोटाले का पर्दाफ़ाश हो गया। अब इससे हास्यास्पद और क्या होगा, ऐसे तो किसी भी अपराधी को सज़ा ही नहीं मिलेगी।

हालांकि इस पूरे प्रकरण को मा. उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है। इस मामले में स्पष्ट है कि सीएम ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। और इस अक्षम्य अपराध के लिए सीएम के ऊपर मुकदमा दर्ज करते हुए विधिसम्मत कार्रवाई होनी चाहिए।

देखें हमारी रिपोर्ट –

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