संतोष मूरत 20 साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए न्यायिक लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके पट्टीदारों ने सरकारी कागजों में उन्हें मृत घोषित कर पूरी पैतृक जमीन हड़प ली। तब से संतोष मूरत खुद को जिंदा साबित करने में लगे हुए हैं।
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वाराणसी : विधानसभा चुनाव के सातवें एवं अंतिम चरण में वाराणसी सहित नौ जिलों की कुल 54 सीटों पर सोमवार को मतदान जारी है। सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित चौबेपुर के संतोष मूरत सिंह ने भी अपने गांव में बने मतदान केंद्र पर मतदान किया। इसके बाद उन्होंने कहा, मैं जिंदा हूं, वोट डालने के बाद यह प्रमाण भी है। इसको लेकर संतोष मूरत सोशल मीडिया में सुर्खियों में हैं।
संतोष मूरत 20 साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए न्यायिक लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके पट्टीदारों ने सरकारी कागजों में उन्हें मृत घोषित कर पूरी पैतृक जमीन हड़प ली। तब से संतोष मूरत खुद को जिंदा साबित करने में लगे हुए हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल किया, पर वो खारिज हो गया। छितौनी (चौबेपुर) गांव के रहने वाले संतोष मूरत ‘मै जिंदा हूं’ के नाम से जिले में चर्चित हैं।
मूरत के मुताबिक पट्टीदारों ने 20 साल पहले उन्हें मृत दर्शाकर जमीन हड़प ली। अब वह खुद को जीवित साबित करने के लिए सरकारी व्यवस्था से जूझ रहे हैं। मूरत के अनुसार फौजी पिता का निधन 1988 में हो गया। तब वह नाबालिग थे। उनके नाम से जमीन वरासत हो गई। साल 2000 तक सब ठीक रहा। इसी साल फिल्म आंच की शूटिंग क्षेत्र में हो रही थी। वह अभिनेता नाना पाटेकर के साथ मुंबई चले गये। वहां से जब दो-तीन साल बाद लौटे तो पता चला कि उन्हें सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया गया है।