दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की एसआईटी से जांच वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस व भाजपा नेताओं को नोटिस जारी किया गया है।
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नई दिल्ली, 22 मार्च। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को दोबारा नोटिस जारी किया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 29 अप्रैल को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या जिन्हें पिछली सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया गया था वे उपस्थित हैं। क्या उन्हें समन तामील किया गया है। तब याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि समन तामील नहीं हो सका है, क्योंकि प्रोसेस फी दाखिल नहीं की गई है। इस पर कोर्ट ने एतराज जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस याचिका पर तय सीमा में सुनवाई करने का आदेश दिया है। अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई हो आप ही कहेंगे कि हाईकोर्ट देरी कर रहा है। उसके बाद कोर्ट ने सभी प्रतिवादी 24 नेताओं को नए सिरे से नोटिस जारी किया।
28 फरवरी को कोर्ट ने भाजपा और कांग्रेस के 24 नेताओं को नोटिस जारी किया था। दरअसल, एक याचिकाकर्ता शेख मुज्तबा और दूसरे याचिकाकर्ता लॉयर्स वॉयस ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर नेताओं को दिल्ली हिंसा का जिम्मेदार ठहराया था। शेख मुज्तबा ने भाजपा के चार नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के भाषणों को उकसाने वाला और हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया था। लॉयर्स वॉयस ने 20 नेताओं को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
लॉयर्स वॉयस ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मनीष सिसोदिया, अमानतुल्लाह खान, वारिस पठान, अकबरुद्दीन ओवैसी, वकील महमूद प्राचा, हर्ष मांदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, उमर खालिद, मौलाना हबीब उर रहमान, मोहम्मद दिलावर, मौलाना श्रेया रजा, मौलाना हामूद रजा, मौलाना तौकीर, फैजुल हसन, तौकीर रजा खान और बीजी कोसले पाटिल को शामिल किया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इन नेताओं को पक्षकार बनाने से पहले इनका जवाब जानना जरूरी है। उसके बाद कोर्ट ने इन नेताओं को नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने 24 फरवरी को एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को चुनौती देने वाली एक याचिकाकर्ता की इस मांग को खारिज कर दिया था कि उसे इस मामले में पक्षकार बनाया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वकील पवन नारंग ने कहा था कि इस मामले में शेख मुज्तबा की उस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की। तब कोर्ट ने कहा था कि आप न तो इस मामले से कहीं जुड़े हुए हैं और न ही आप सीधे पक्षकार हैं। 8 फरवरी को कोर्ट ने लॉयर्स वॉयस औऱ शेख मुज्तबा फारुख को जरूरी पक्षकारों को पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी थी।
शेख मुज्तबा की ओर से 8 फरवरी को वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने भी दंगा भड़काने में मदद की लेकिन एक भी एफआईआर दिल्ली पुलिस के खिलाफ दर्ज नहीं किया गया है। लॉयर्स वॉयस की ओर से वकील सोनिया माथुर ने कहा था कि वे भी कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ हेट स्पीच संबंधी एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रही हैं। उसके बाद कोर्ट ने दोनों को उन नेताओं को भी पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने का निर्देश दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 फरवरी, 2020 को भड़काऊ भाषण मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टालते हुए 13 अप्रैल, 2020 को सुनवाई करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2020 को हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई जल्द कर फ़ैसला लें।