देश की राजधानी दिल्ली में तमाम प्रयासों के बावजूद हवा की सेहत में सुधार नहीं हो रहा है। दिवाली महापर्व से ठीक एक दिन पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति काफी बिगड़ चुकी है। सुबह-सुबह महानगर के कई इलाकों में धुंध छा गया। पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है, इसके बावजूद वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक हो गई है।
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प्रदूषण की वजह से खासकर बुजुर्गों, बच्चों और खांसी-दमे के शिकार लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण के चलते अन्य बीमारियां भी लोगों को घेर लेती हैं।
रविवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में धुंध छाया रहा। अक्षरधाम मंदिर भी धुंध की आगोश में समाया रहा। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘पूअर’ (स्वास्थ्य के लिए खराब) कैटेगरी में पहुंच गया। शनिवार को भी दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब रही। इससे सांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए आने वाले समय में स्थिति के और भी बिगड़ने की आशंका है। प्रतिबंधों के बावजूद दिल्ली में पटाखों की खरीदारी हुई है, ऐसे में यदि आतिशबाजी हुई तो हालात और भी खराब हो सकते हैं।
अक्तूबर और नवंबर में दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए खासतौर पर पराली का जलना जिम्मेदार होता है। ऊर्जा एवं स्वच्छ हवा अनुसंधान केंद्र की एक शोध रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में उत्सर्जन नियंत्रण प्रौद्योगिकियों की कमी, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन और मौजूदा समय में पराली जलाने की घटनाएं प्रमुख हैं। इन सब वजहों से राष्ट्रीय राजधानी की हवा जहरीली हो जाती है।