बहुत कम लोग जानते है कि दाल और चना या फिर राजमा को कितना भिगोना चाहिए चलिए बताते है!
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नई दिल्ली । लोग दाल चना और राजमा के बारे में जानते है कि कितनी सेहत के लिए लाभदायक होती है। हमारे भारत के रसोई में आपको यह चीजें जरूर मिल जाएगी…और इनको बनाने से पहले भिगोया भी जाता है। ऐसा इसलिए भी किया जाता है कि ताकि वह ठीक से पक जाए। ठीक उसी तरह नट्स और ड्राई फ्रूट्स खाने से पहले उसे पानी में भिगोकर रख दिया जाता है। लेकिन ज्यादातर लोग इस बात को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं कि किस दाल या बिन्स या ड्राई फ्रूट्स को कितने देर तक भिगोना चाहिए? तो चलिए जानते है।
विशेषज्ञों की मानें तो पकाने में आसान और इसलिए भिगोने का समय 4-6 घंटे जितना छोटा हो सकता है। जैसे पीली मूंग दाल, चना दाल, उड़द दाल, तुवर दाल आदि.
दाल, चना और बीन्स को कितनी देर पानी में रखना चाहिए?
स्प्लिट दालें – स्प्लिट दालें यानि मूंग, चना दाल, उड़द दाल, तूर दाल आसानी से पक जाती है। इसे पकाने में सिर्फ 4-6 घंटे का वक्त लगता है। इस साबुत दाल को आप आसानी से पका सकते हैं।
साबुत दालें- साबुत दालें यानि पूरी साबुत जैसे- लोबिया, हरी मूंग दाल, कुलथी, मोठ जैसी छोटी दालें आदि। इस बनाने से 6-8 घंटे पहले पानी में भिगोकर रख दिया जाता है। इन्हें आसानी से अंकुरित भी किया जा सकता है।
बीन्स और चने – सोयाबीन, किडनी बीन्स, बंगाल चना, ब्लैक बीन्स जैसी बड़ी फलियां हैं। जो आकार में बड़ी और सख्त होती हैं। उन्हें बनाने से पहले 8-10 घंटे से पहले पानी में भिगोना चाहिए।
दाल, राजमा और चना को भिगोना क्यों है जरूरी?
दाल, राजमा और चना को पानी में भिगोकर बनाने से इसे पचाने में आसानी होती है। कई स्टडी में इस बात का खुलासा भी किया गया है कि दाल और फलियां में मौजूद एंटी-न्यूट्रिएंट्स आराम से निकल जाते हैं। साथ ही साथ यह भी कहा जाता है कि भीगी दाल और फलियां खाने से ब्लोटिंग और पाचन संबंधी समस्याएं कम हो जाती हैं।