देर रात ही जेएनयू छात्र संघ की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत और पुलिस के आश्वासन के बाद छात्रों ने अपना विरोध समाप्त कर दिया. छात्र नेता आइशी ने यह जानकारी दी.
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JNU BBC Documentary Screening : जेएनयू में BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर बवाल चल रहा है. देर रात तक छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा. कैंपस में यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ मार्च शुरू हो गया और पुलिस भी आ गई. वामपंथी संगठनों से जुड़े छात्र जेएनयू कैंपस से वसंत कुंज पुलिस स्टेशन तक विरोध मार्च निकाला. छात्र गुटों की ओर से पथराव के आरोप भी लगाए गए हैं लेकिन पुलिस की ओर से पथराव की की पुष्टि नहीं की गई. वसंत कुंज में पुलिस थाने के बाहर छात्रों ने देर रात प्रदर्शन किया. इसके बाद देर रात ही जेएनयू छात्र संघ की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत और पुलिस के आश्वासन के बाद छात्रों ने अपना विरोध समाप्त कर दिया. छात्र नेता आइशी ने यह जानकारी दी.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष आयशी घोष ने दावा किया कि जेएनयू प्रशासन ने बिजली काटी है. बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डाक्यूमेंट्री सीरीज गुजरात दंगों (Gujarat Riots) पर आधारित है जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे.
जेएनयू प्रशासन ने स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी
डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रात 9 बजे शुरू होने वाली थी और छात्रों ने प्रशासन की अस्वीकृति के बावजूद इसे आगे बढ़ाने की योजना बनाई थी. जेएनयू प्रशासन ने स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी थी. साथ ही कहा था कि डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. हालांकि छात्रों ने जोर देकर कहा था कि स्क्रीनिंग से विश्वविद्यालय के किसी नियम का उल्लंघन नहीं होगा और न ही इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा.
सरकार ने बीबीसी की डाक्यूमेंट्री की निंदा की
बता दें कि, बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डाक्यूमेंट्री सीरीज को लेकर काफी विवाद हो रहा है.केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी ) की ओर से तैयार डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाया है. यह गुजरात दंगों पर आधारित है. इसमें सीरीज के माध्यम से झूठे नेरेटिव फैलाने का आरोप है. इसी कारण सरकार ने भारत में इसे बैन करने के साथ-साथ डॉक्यूमेंट्री के ट्वीट और वीडियो को यू-ट्यूब से हटाने के आदेश जारी किए थे. इसके अलावा इससे जुड़े 50 लिंक को ब्लॉक भी किया गया है.विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है और यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.